साधको की ये हरि ओम बोली l
ऐसी वैसी ये बोली नही है ll
निन्दको की तड़क और गरज से l
डर ने वाली ये टोली नही है ll
लेकर सत्संग हरि ओम साधक l
सत्य संदेश दिल मे है धारे ll
सुन लो जग वालो इन अफावाओ से l
डरनेवाली ये टोली नही है ll
जो भी सुन ले उसी को है
मानेदुनिया इतनी भी भोली नही है..ll
ब्र्म्हवेत्ता की लेता है परीक्षा l
श्रध्दा किसीकी भी डोली नही है ll
हम तो सदगुर के प्यारे है साधक l
जैसे सिंह के दुलारे ही श्रावक ll
भूल कर भी इन्हें न सताना l
गिधडो की ये टोली नही है ll
थक गए सब जग वाले निंदक l
साधको की ना श्रध्दा घटी है ll
हम तो प्यारे है अपने बापू के l
ऐसे वैसे हमजोली नही है ll
विश्व पद पे भारत रहेगा l
प्यारे बापू की बोली यही है ll
साधको का संकल्प है पुरा l
कायरो कि ये बोली नही है ll
दुर्मति से भरे है जो निंदक l
नरक गामी फिर उनकी गति है ll
खैरियत समझो जब तक बापू ने l
तीसरी आँख खोली नही है ll
written by Balram Bhai.
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