सपना ये संसार, जप ले राम हरि
तू दिल से जरा पुकार, हरिॐ राम हरि
1) सत्संग में नित रुचि बना ले
संत चरणरज शीश लगा ले
गुरु चरणरज शीश लगा ले
जीने का यही सार, जप ले राम हरि
हरिॐ हरिॐ हरिॐ हरिॐ.................
2) संयम से इस जग में रहना
सबके हित की नीति कहना
सबसे करना प्यार, जप ले राम हरि
हरिॐ हरिॐ हरिॐ हरिॐ..................
3) संतोषी बन शांति पाना
परमेश्वर का ध्यान लगाना
सदगुरुदेव का ध्यान लगाना
गुरु करें भव पार, जप ले राम हरि
सदगुरु करें भव पार, जप ले राम हरि
हरिॐ हरिॐ हरिॐ हरिॐ........................
4) बुद्धि जो भोगों में फँसेगी
परम तत्व को नहीं समझेगी
मन को जरा सुधार, जप ले राम हरि
तू मन को जरा सुधार, जपले राम हरि
हरिॐ हरिॐ हरिॐ हरिॐ.............................
मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम.......................
हरिॐ हरिॐ हरिॐ हरिॐ..............................
Saturday, January 26, 2008
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