
Friday, February 15, 2008
श्री आसारामायण
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
गुरु चरण रज शीश धरी , हृदय रूप विचार ।
श्री आसारामायण कहों , वेदान्त को सार ॥
धर्म कामार्थ मोक्ष दे , रोग शोक संहार ।
भजे जो भक्ति भाव से , शीघ्र हो बेडा पार ॥
भारत सिंधु नदी बखानी , नवाब जिले में गाँव बेराणी
रहता एक सेठ गुनखानी , नाम थाउमल सिरुमलानी
आज्ञा में रहती मेंह्गीबा , पति परायण नाम मंगीबा
चैत वद छः उन्नीस अठानवे , आसुमल अवतरित आँगने
माँ मन में उमडा सुख सागर , द्वार पे आया एक सौदागर
लाया एक अति सुन्दर झूला , देख पिता मन हर्ष से फूला
सभी चकित ईश्वर की माया , उचित समय पर कैसे आया
ईश्वर की यह लीला भारी , बालक है कोई चमत्कारी
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
संत सेवा और श्रुति श्रवण , मात पिता उपकारी ।
धर्म पुरुष जन्मा कोई , पुण्यों का फल भारी ॥
सूरत थी बालक की सलोनी, आते ही कर दी अनहोनी
समाज में थी मान्यता जैसी , प्रचलित एक कहावत ऐसी
तीन बहन के बाद जो , आता पुत्र वह त्रेखन कहलाता
होता अशुभ अमंगल कारी , दरिद्रता लाता है भारी
विपरीत किन्तु दिया दिखाई , घर में जैसे लक्ष्मी आई
तिरलोकी का आसन डोला , कुबेर ने भण्डार ही खोला
मान प्रतिष्ठा और बढाई , सब के मन सुख शांति छाई
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
तेजोमय बालक बढा , आनंद बढा अपार ।
शील शांति का आत्मधन , करने लगा विस्तार ॥
एक दिना थाउमल द्वारे , कुलगुरु परशुराम पधारे
ज्यूँ ही वे बालक को निहारे , अनायास ही सहसा पुकारे
यह नहीं बालक साधारण , दैवी लक्षण तेज हैं कारण
नेत्रों में है सात्विक लक्षण , इसके कार्य बडे विलक्षण
यह तो महान संत बनेगा , लोगों का उद्धार करेगा
सुनी गुरु की भविष्य वाणी , गद गद हो गए सिरुमलानी
माता ने भी माथा चूमा , हर कोई ले करके घूमा
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
ज्ञानी वैरागी पूर्व का , तेरे घर में आये ।
जन्म लिया है योगी ने , पुत्र तेरा कहलाये ॥
पावन तेरा कुल हुआ , जननी कोख कृतार्थ ।
नाम अमर तेरा हुआ , पूर्ण चार पुरुषार्थ ॥
सैतालिस में देश विभाजन , पाक में छोडा भू पशु औ धन
भारत अमदाबाद में आये , मणिनगर में शिक्षा पाए
बड़ी विलक्षण स्मरण शक्ति , असुमल की आशु युक्ति
तीव्र बुद्धि एकाग्र नम्रता , त्वरित कार्य और सहनशीलता
आसुमल प्रसन्न मुख रहते , शिक्षक हसमुख भाई कहते
पिस्ता बादाम काजू अखरोट , भरे जेब खाते भर पेटा
दे दे मक्खन मिश्री कूजा , माँ ने सिखाया ध्यान और पूजा
ध्यान का स्वाद लगा तब ऐसे , रहे न मछली जल बिन जैसे
हुए ब्रह्मविद्या से युक्त वे , वही है विद्या या विमुक्तये
बहुत रात तक पैर दबाते , भरे कंठ पितु आशीष पाते
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
पुत्र तुम्हारा जगत में , सदा रहेगा नाम ।
लोगों के तुमसे सदा , पूरन होंगे काम ॥
सिर से हटी पिता की छाया , तब माया ने जाल फैलाया
बडे भाई का हुआ दुसाशन , व्यर्थ हुए माँ के आश्वासन
छूटा वैभव स्कूली शिक्षा , शुरू हो गई अग्नि परीक्षा
गए सिद्धपुर नौकरी करने , कृष्ण के आगे बहाए झरने
सेवक सखा भाव से भीजे , गोविन्द माधव तब रीझे
एक दिना एक माई आई , बोली हे भगवन सुखदायी
पड़े पुत्र दुख मुझे झेलने , खून केस दो बेटे जेल में
बोले आसु सुख पावेंगे , निर्दोष छुट जल्दी आवेंगे
बेटे घर आये माँ भागी , आसुमल के पावों लगी
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
आसुमल का पुष्ट हुआ , आलोकिक प्रभाव ।
वाक सिद्धि की शक्ति का , हो गया प्रादुर्भाव ॥
बरस सिद्धपुर तीन बिताये , लौट अहमदाबाद में आये
करने लगी लक्ष्मी नर्तन , किया भाई का दिल परिवर्तन
दरिद्रता को दूर कर दिया , घर वैभव भरपूर कर दिया
सिनेमा उन्हें कभी न भाये , बलात ले गए रोते आये
जिस माँ ने था ध्यान सिखाया , उसको ही अब रोना आया
माँ करना चाहती थी शादी , आसुमल का मन वैरागी
फिर भी सबने शक्ति लगाई , जबरन कर दी उनकी सगाई
शादी को जब हुआ उनका मन , आसुमल कर गए पलायन
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
पंडित कहा गुरु समर्थ को , रामदास सावधान ।
शादी फेरे फिरते हुए , भागे छुडा कर जान ॥
करत खोज में निकल गया दम , मिले भरुच में अशोक आश्रम
कठिनाई से मिला रास्ता , प्रतिष्ठा का दिया वास्ता
घर में लाये आजमाये गुर , बारात ले पहुंचे आदिपुर
विवाह हुआ पर मन द्रढाया , भगत ने पत्नी को समझाया
अपना व्यवहार होगा ऐसे , जल में कमल रहता है जैसे
सांसारिक व्यवहार तब होगा , जब मुझे साक्षात्कार होगा
साथ रहे ज्यूँ आत्मा काया , साथ रहे वैरागी माया
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
अनश्वर हूँ मैं जानता , सत-चित हूँ आनंद ।
स्थिति में जीने लगूँ , होवे परमानन्द ॥
मूल ग्रंथ अध्ययन के हेतु , संस्कृत भाषा है एक सेतु
संस्कृत की शिक्षा पायी , गति और साधना बढाई
एक श्ळोक ह्रदय में पैठा , वैराग्य सोया उठ बैठा
आशा छोड़ नैराश्यवलम्बित , उनकी शिक्षा पूर्ण अनुष्ठित
लक्ष्मी देवी को समझाया , ईश प्राप्ति ध्येय बताया
छोड़ के घर मैं अब जाऊँगा , लक्ष्य प्राप्त कर लौट आऊँगा
केदारनाथ के दर्शन पाए , लक्षाधिपति आशीष पाए
पुनि पूजा पुनः संकल्पाये , ईश प्राप्ति आशीष पाए
आये कृष्ण लीला स्थली में , वृन्दावन की कुञ्ज गलिन में
कृष्ण ने मन में ऐसा ढाला , वे जा पहुंचे नैनिताला
वहाँ थे श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठित , स्वामी लीलाशाह प्रतिष्टित
भीतर तरल थे बाहर कठोरा , निर्विकल्प ज्यूँ कागज़ कोरा
पूर्ण स्वतंत्र परम उपकारी , ब्रह्मस्थित आत्मसाक्षात्कारी
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
ईश-कृपा बिन गुरु नहीं गुरु बिना नहीं ज्ञान ।
ज्ञान बिना आत्मा नहीं गावहि वेद-पुराण ॥
जानने को साधक की कोटी , सत्तर दिन तक हुई कसौटी
कंचन को अग्नि में तपाया , गुरु ने आसुमल बुलवाया
कहा गृहस्थ हो कर्म करना , ध्यान भजन घर पर ही करना
आज्ञा मानी घर पर आये , पक्ष में मोटी-कोरल धाए
नर्मदा तट पर ध्यान लगाए , लालजी महाराज आकर्षाये
सप्रेम शील स्वामी पँह धाए , दत्त-कुटीर में साग्रह लाये
उमडा प्रभु प्रेम का चस्का , अनुष्ठान चालीस दिवस का
मरे छः शत्रु स्थिति पायी , ब्रह्मनिष्ठ्ता सहज समाई
शुभाशुभ सम रोना-गाना , ग्रीष्म ठंड मान और अपमाना
तृप्त हो खाना भूख अरु प्यास , महल और कुटिया आस निरास
भक्ति योग ज्ञान अभ्यासी , हुए समान मगहर और कासी
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
भाव ही कारण ईश है , न स्वर्ण काठ पाषाण ।
सत-चित-आनंद रूप है , व्यापक है भगवान ॥
ब्रह्मेशान जनार्दन , सारद शेष गणेश ।
निराकार साकार है , है सर्वत्र भवेश ॥
हुए आसुमल ब्रह्म-अभ्यासी , जन्म अनेको लागे बासी
दूर हो गयी आधि व्याधि , सिद्ध हो गयी सहज समाधि
इक रात नदी तट मन आकर्षा , आई जोर से आंधी वर्षा
बंद मकान बरामदा खाली , बैठे वहीं समाधि लगा ली
देखा किसी ने सोचा डाकू , लाये लाठी भाला चाकू
दौडे चीखे शोर मच गया , टूटी समाधि ध्यान खिंच गया
साधक उठा थे बिखरे केशा , राग द्वेष ना किंचित लेशा
सरल लोगों ने साधू माना , हत्यारों ने काल ही जाना
भैरव देख दुष्ट घबराए , पहलवान ज्यूँ मल्ल ही पाए
कामी जनों ने आशिक माना , साधुजन कीन्हें परनामा
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
एक दृष्टि देखे सभी चले शांत गंभीर ।
सशस्त्रों की भीड़ को सहज गए वे चीर ॥
माता आई धर्म की सेवी , साथ में पत्नी लक्ष्मी देवी
दोनों फूट-फूट के रोई , रुदन देख करुना भी रोई
संत लालजी हृदय पसीजा , हर दर्शक आंसू में भीजा
कहा सभी ने आप जइयो , आसुमल बोले की भाइयों
चालीस दिवस हुआ नही पूरा , अनुष्ठान है मेरा अधूरा
आसुमल ने छोडी तितिक्षा , माँ पत्नी ने की प्रतीक्षा
जिस दिन गाँव से हुई विदाई जार जार रोए लोग लुगाई
अहमदाबाद को हुए रवाना , मिया-गाँव से किया पयाना
मुम्बई गए गुरु की चाह , मिले वहीं पे लीलाशाह
परम पिता ने पुत्र को देखा , सूर्य ने घट जल में पेखा
घटक तोड़ जल जल में मिलाया , जल प्रकाश आकाश में छाया
निज स्वरूप का ज्ञान द्रढाया , ढाई दिवस होश न आया
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
आसोज सुद दो दिवस , संवत बीस इक्कीस ।
मध्यान्ह ढाई बजे , मिला ईश से ईश ॥
देह सभी मिथ्या हुई जगत हुआ निस्सार ।
हुआ आत्मा से तभी अपना साक्षात्कार ॥
परम स्वतंत्र पुरुष दर्शाया , जीव गया और शिव को पाया
जान लिया हूँ शांत निरंजन , लागू मुझे न कोई बन्धन
यह जगत सारा है नश्वर , मैं ही शाश्वत एक अनश्वर
दीद है दो पर दृष्टि एक है , लघु गुरु में वही एक है
सर्वत्र एक किसे बतलाये , सर्व व्याप्त कहाँ आये जाये
अनंत शक्तिवाला अविनाशी, रिद्धि सिद्धि उसकी दासी
सारा ही ब्रह्माण्ड पसारा , चले उसकी इच्छा अनुसारा
यदि वह संकल्प चलाये , मुर्दा भी जीवित हो जाये
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
ब्राह्मी स्थिति प्राप्त कर , कार्य रहे न शेष ।
मोह कभी न ठग सके , इच्छा नहीं लवलेश ॥
पूर्ण गुरु कृपा मिली , पूर्ण गुरु का ज्ञान ।
आसुमल से हो गए , साई आसाराम ॥
जाग्रत स्वप्न सुषुप्ति चेते , ब्रह्मानंद का आनंद लेते
खाते पीते मौन या कहते , ब्रह्मानंद मस्ती में रहते
रहो गृहस्थ गुरु का आदेश , गृहस्थ साधु करो उपदेश
किये गुरु ने वारे न्यारे , गुजरात डीसा गाँव पधारे
मृत गाय दिया जीवन दाना , तब से लोगों ने पहचाना
द्वार पे कहते नारायण हरि , लेने जाते कभी मधुकरी
तब से वे सत्संग सुनाते , सभी आरती शांति पाते
जो आया उद्धार कर दिया , भक्त का बेडा पार कर दिया
कितने मरणासन्न जिलाए , व्यसन मांस और मद्य छुडाये
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
एक दिन मन उकता गया , किया डीसा से कूच ।
आई मौज फकीर की , दिया झोपड़ा फूँक ॥
वे नारेश्वर धाम पधारे , जा पहुंचे नर्मदा किनारे
मीलों पीछे छोडा मंदिर , गए घोर जंगल के अन्दर
घने वृक्ष तले पत्थर पर , बैठे ध्यान निरंजन का धर
रात गयी प्रभात हो आई बाल रवि ने सूरत दिखाई
प्रातः पक्षी कोयल कूकंता , छूटा ध्यान उठे तब संता
प्रातर्विधि निवृत हो आये , तब आभास क्षुधा का पाए
सोचा मैं न कहीं जाऊँगा , यहीं बैठ कर अब खाऊँगा
जिसको गरज होगी आएगा सृष्टि कर्ता खुद लाएगा
ज्यूँ ही मन विचार वे लाये , त्यों ही दो किसान वहाँ आये
दोनों सिर पर बांधे साफा , खाद्य पेय लिए दोनों हाथा
बोले जीवन सफल है आज , अर्घ्य स्वीकारो महाराज
बोले संत और पे जाओ जो है तुम्हारा उसे खिलाओ
बोले किसान आपको देखा , स्वप्न में मार्ग रात को देखा
हमारा न कोई संत है दूजा , आओ गाँव करें तुमरी पूजा
आसाराम तब मन में धारे , निराकार आधार हमारे
पिया दूध थोडा फल खाया , नदी किनारे जोगी धाय
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
गांधीनगर गुजरात में , है मोटेरा ग्राम ।
ब्रह्मनिष्ठ श्री संत का , यहीं है पावन धाम ॥
आत्मानंद में मस्त है , करे वेदान्ती खेल ।
भक्ति योग और ज्ञान का , सदगुरु करते मेल ॥
साधिकाओं का अलग , आश्रम नारी उत्थान ।
नारी शक्ति जागृत सदा , जिसका नहीं बयान ॥
बालक वृद्ध और नर नारी , सभी प्रेरणा पाए भारी
एक बार जो दर्शन पाए , शांति का अनुभव हो जाये
नित्य विविध प्रयोग कराये , नादानुसंधान बताये
नाभि से वे ओम कहलायें , हृदय से वे राम कहलायें
सामान्य ध्यान जो लगाये , उन्हें वे गहरे में ले जायें
सबको निर्भय योग सिखाएं , सबका आत्मोत्थान करायें
हजारों के रोग मिटाए , और लाखों के शोक छुडाये
अमृतमय प्रसाद जब देते , भक्त का रोग शोक हर लेते
जिसने नाम का दान लिया है , गुरु अमृत का पान किया है
उनका योग क्षेम वे रखते , वे न तीन तापों से तपते
धर्म कामार्थ मोक्ष वे पाते , आपद रोगों से बच जाते
सभी शिष्य रक्षा पाते हैं , सूक्ष्म शरीर गुरु आते हैं
सचमुच गुरु हैं दीन दयाल , सहज ही कर देते हैं निहाल
वे चाहते सब झोली भर ले , निज आत्मा का दर्शन कर लें
एक सौ आठ जो पाठ करेंगे , उनके सारे काज सरेंगे
गंगाराम शील है दासा , होंगी पूर्ण सभी अभिलाषा
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
वराभयदाता सदगुरु , परम ही भक्त कृपाल ।
निश्चल प्रेम से जो भजे , साँई करे निहाल ॥
मन में नाम तेरा रहे , मुख पे रहे सुगीत ।
हमको इतना दीजिये , रहे चरण में प्रीत ॥
गुरु चरण रज शीश धरी , हृदय रूप विचार ।
श्री आसारामायण कहों , वेदान्त को सार ॥
धर्म कामार्थ मोक्ष दे , रोग शोक संहार ।
भजे जो भक्ति भाव से , शीघ्र हो बेडा पार ॥
भारत सिंधु नदी बखानी , नवाब जिले में गाँव बेराणी
रहता एक सेठ गुनखानी , नाम थाउमल सिरुमलानी
आज्ञा में रहती मेंह्गीबा , पति परायण नाम मंगीबा
चैत वद छः उन्नीस अठानवे , आसुमल अवतरित आँगने
माँ मन में उमडा सुख सागर , द्वार पे आया एक सौदागर
लाया एक अति सुन्दर झूला , देख पिता मन हर्ष से फूला
सभी चकित ईश्वर की माया , उचित समय पर कैसे आया
ईश्वर की यह लीला भारी , बालक है कोई चमत्कारी
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
संत सेवा और श्रुति श्रवण , मात पिता उपकारी ।
धर्म पुरुष जन्मा कोई , पुण्यों का फल भारी ॥
सूरत थी बालक की सलोनी, आते ही कर दी अनहोनी
समाज में थी मान्यता जैसी , प्रचलित एक कहावत ऐसी
तीन बहन के बाद जो , आता पुत्र वह त्रेखन कहलाता
होता अशुभ अमंगल कारी , दरिद्रता लाता है भारी
विपरीत किन्तु दिया दिखाई , घर में जैसे लक्ष्मी आई
तिरलोकी का आसन डोला , कुबेर ने भण्डार ही खोला
मान प्रतिष्ठा और बढाई , सब के मन सुख शांति छाई
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
तेजोमय बालक बढा , आनंद बढा अपार ।
शील शांति का आत्मधन , करने लगा विस्तार ॥
एक दिना थाउमल द्वारे , कुलगुरु परशुराम पधारे
ज्यूँ ही वे बालक को निहारे , अनायास ही सहसा पुकारे
यह नहीं बालक साधारण , दैवी लक्षण तेज हैं कारण
नेत्रों में है सात्विक लक्षण , इसके कार्य बडे विलक्षण
यह तो महान संत बनेगा , लोगों का उद्धार करेगा
सुनी गुरु की भविष्य वाणी , गद गद हो गए सिरुमलानी
माता ने भी माथा चूमा , हर कोई ले करके घूमा
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
ज्ञानी वैरागी पूर्व का , तेरे घर में आये ।
जन्म लिया है योगी ने , पुत्र तेरा कहलाये ॥
पावन तेरा कुल हुआ , जननी कोख कृतार्थ ।
नाम अमर तेरा हुआ , पूर्ण चार पुरुषार्थ ॥
सैतालिस में देश विभाजन , पाक में छोडा भू पशु औ धन
भारत अमदाबाद में आये , मणिनगर में शिक्षा पाए
बड़ी विलक्षण स्मरण शक्ति , असुमल की आशु युक्ति
तीव्र बुद्धि एकाग्र नम्रता , त्वरित कार्य और सहनशीलता
आसुमल प्रसन्न मुख रहते , शिक्षक हसमुख भाई कहते
पिस्ता बादाम काजू अखरोट , भरे जेब खाते भर पेटा
दे दे मक्खन मिश्री कूजा , माँ ने सिखाया ध्यान और पूजा
ध्यान का स्वाद लगा तब ऐसे , रहे न मछली जल बिन जैसे
हुए ब्रह्मविद्या से युक्त वे , वही है विद्या या विमुक्तये
बहुत रात तक पैर दबाते , भरे कंठ पितु आशीष पाते
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
पुत्र तुम्हारा जगत में , सदा रहेगा नाम ।
लोगों के तुमसे सदा , पूरन होंगे काम ॥
सिर से हटी पिता की छाया , तब माया ने जाल फैलाया
बडे भाई का हुआ दुसाशन , व्यर्थ हुए माँ के आश्वासन
छूटा वैभव स्कूली शिक्षा , शुरू हो गई अग्नि परीक्षा
गए सिद्धपुर नौकरी करने , कृष्ण के आगे बहाए झरने
सेवक सखा भाव से भीजे , गोविन्द माधव तब रीझे
एक दिना एक माई आई , बोली हे भगवन सुखदायी
पड़े पुत्र दुख मुझे झेलने , खून केस दो बेटे जेल में
बोले आसु सुख पावेंगे , निर्दोष छुट जल्दी आवेंगे
बेटे घर आये माँ भागी , आसुमल के पावों लगी
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
आसुमल का पुष्ट हुआ , आलोकिक प्रभाव ।
वाक सिद्धि की शक्ति का , हो गया प्रादुर्भाव ॥
बरस सिद्धपुर तीन बिताये , लौट अहमदाबाद में आये
करने लगी लक्ष्मी नर्तन , किया भाई का दिल परिवर्तन
दरिद्रता को दूर कर दिया , घर वैभव भरपूर कर दिया
सिनेमा उन्हें कभी न भाये , बलात ले गए रोते आये
जिस माँ ने था ध्यान सिखाया , उसको ही अब रोना आया
माँ करना चाहती थी शादी , आसुमल का मन वैरागी
फिर भी सबने शक्ति लगाई , जबरन कर दी उनकी सगाई
शादी को जब हुआ उनका मन , आसुमल कर गए पलायन
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
पंडित कहा गुरु समर्थ को , रामदास सावधान ।
शादी फेरे फिरते हुए , भागे छुडा कर जान ॥
करत खोज में निकल गया दम , मिले भरुच में अशोक आश्रम
कठिनाई से मिला रास्ता , प्रतिष्ठा का दिया वास्ता
घर में लाये आजमाये गुर , बारात ले पहुंचे आदिपुर
विवाह हुआ पर मन द्रढाया , भगत ने पत्नी को समझाया
अपना व्यवहार होगा ऐसे , जल में कमल रहता है जैसे
सांसारिक व्यवहार तब होगा , जब मुझे साक्षात्कार होगा
साथ रहे ज्यूँ आत्मा काया , साथ रहे वैरागी माया
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
अनश्वर हूँ मैं जानता , सत-चित हूँ आनंद ।
स्थिति में जीने लगूँ , होवे परमानन्द ॥
मूल ग्रंथ अध्ययन के हेतु , संस्कृत भाषा है एक सेतु
संस्कृत की शिक्षा पायी , गति और साधना बढाई
एक श्ळोक ह्रदय में पैठा , वैराग्य सोया उठ बैठा
आशा छोड़ नैराश्यवलम्बित , उनकी शिक्षा पूर्ण अनुष्ठित
लक्ष्मी देवी को समझाया , ईश प्राप्ति ध्येय बताया
छोड़ के घर मैं अब जाऊँगा , लक्ष्य प्राप्त कर लौट आऊँगा
केदारनाथ के दर्शन पाए , लक्षाधिपति आशीष पाए
पुनि पूजा पुनः संकल्पाये , ईश प्राप्ति आशीष पाए
आये कृष्ण लीला स्थली में , वृन्दावन की कुञ्ज गलिन में
कृष्ण ने मन में ऐसा ढाला , वे जा पहुंचे नैनिताला
वहाँ थे श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठित , स्वामी लीलाशाह प्रतिष्टित
भीतर तरल थे बाहर कठोरा , निर्विकल्प ज्यूँ कागज़ कोरा
पूर्ण स्वतंत्र परम उपकारी , ब्रह्मस्थित आत्मसाक्षात्कारी
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
ईश-कृपा बिन गुरु नहीं गुरु बिना नहीं ज्ञान ।
ज्ञान बिना आत्मा नहीं गावहि वेद-पुराण ॥
जानने को साधक की कोटी , सत्तर दिन तक हुई कसौटी
कंचन को अग्नि में तपाया , गुरु ने आसुमल बुलवाया
कहा गृहस्थ हो कर्म करना , ध्यान भजन घर पर ही करना
आज्ञा मानी घर पर आये , पक्ष में मोटी-कोरल धाए
नर्मदा तट पर ध्यान लगाए , लालजी महाराज आकर्षाये
सप्रेम शील स्वामी पँह धाए , दत्त-कुटीर में साग्रह लाये
उमडा प्रभु प्रेम का चस्का , अनुष्ठान चालीस दिवस का
मरे छः शत्रु स्थिति पायी , ब्रह्मनिष्ठ्ता सहज समाई
शुभाशुभ सम रोना-गाना , ग्रीष्म ठंड मान और अपमाना
तृप्त हो खाना भूख अरु प्यास , महल और कुटिया आस निरास
भक्ति योग ज्ञान अभ्यासी , हुए समान मगहर और कासी
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
भाव ही कारण ईश है , न स्वर्ण काठ पाषाण ।
सत-चित-आनंद रूप है , व्यापक है भगवान ॥
ब्रह्मेशान जनार्दन , सारद शेष गणेश ।
निराकार साकार है , है सर्वत्र भवेश ॥
हुए आसुमल ब्रह्म-अभ्यासी , जन्म अनेको लागे बासी
दूर हो गयी आधि व्याधि , सिद्ध हो गयी सहज समाधि
इक रात नदी तट मन आकर्षा , आई जोर से आंधी वर्षा
बंद मकान बरामदा खाली , बैठे वहीं समाधि लगा ली
देखा किसी ने सोचा डाकू , लाये लाठी भाला चाकू
दौडे चीखे शोर मच गया , टूटी समाधि ध्यान खिंच गया
साधक उठा थे बिखरे केशा , राग द्वेष ना किंचित लेशा
सरल लोगों ने साधू माना , हत्यारों ने काल ही जाना
भैरव देख दुष्ट घबराए , पहलवान ज्यूँ मल्ल ही पाए
कामी जनों ने आशिक माना , साधुजन कीन्हें परनामा
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
एक दृष्टि देखे सभी चले शांत गंभीर ।
सशस्त्रों की भीड़ को सहज गए वे चीर ॥
माता आई धर्म की सेवी , साथ में पत्नी लक्ष्मी देवी
दोनों फूट-फूट के रोई , रुदन देख करुना भी रोई
संत लालजी हृदय पसीजा , हर दर्शक आंसू में भीजा
कहा सभी ने आप जइयो , आसुमल बोले की भाइयों
चालीस दिवस हुआ नही पूरा , अनुष्ठान है मेरा अधूरा
आसुमल ने छोडी तितिक्षा , माँ पत्नी ने की प्रतीक्षा
जिस दिन गाँव से हुई विदाई जार जार रोए लोग लुगाई
अहमदाबाद को हुए रवाना , मिया-गाँव से किया पयाना
मुम्बई गए गुरु की चाह , मिले वहीं पे लीलाशाह
परम पिता ने पुत्र को देखा , सूर्य ने घट जल में पेखा
घटक तोड़ जल जल में मिलाया , जल प्रकाश आकाश में छाया
निज स्वरूप का ज्ञान द्रढाया , ढाई दिवस होश न आया
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
आसोज सुद दो दिवस , संवत बीस इक्कीस ।
मध्यान्ह ढाई बजे , मिला ईश से ईश ॥
देह सभी मिथ्या हुई जगत हुआ निस्सार ।
हुआ आत्मा से तभी अपना साक्षात्कार ॥
परम स्वतंत्र पुरुष दर्शाया , जीव गया और शिव को पाया
जान लिया हूँ शांत निरंजन , लागू मुझे न कोई बन्धन
यह जगत सारा है नश्वर , मैं ही शाश्वत एक अनश्वर
दीद है दो पर दृष्टि एक है , लघु गुरु में वही एक है
सर्वत्र एक किसे बतलाये , सर्व व्याप्त कहाँ आये जाये
अनंत शक्तिवाला अविनाशी, रिद्धि सिद्धि उसकी दासी
सारा ही ब्रह्माण्ड पसारा , चले उसकी इच्छा अनुसारा
यदि वह संकल्प चलाये , मुर्दा भी जीवित हो जाये
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
ब्राह्मी स्थिति प्राप्त कर , कार्य रहे न शेष ।
मोह कभी न ठग सके , इच्छा नहीं लवलेश ॥
पूर्ण गुरु कृपा मिली , पूर्ण गुरु का ज्ञान ।
आसुमल से हो गए , साई आसाराम ॥
जाग्रत स्वप्न सुषुप्ति चेते , ब्रह्मानंद का आनंद लेते
खाते पीते मौन या कहते , ब्रह्मानंद मस्ती में रहते
रहो गृहस्थ गुरु का आदेश , गृहस्थ साधु करो उपदेश
किये गुरु ने वारे न्यारे , गुजरात डीसा गाँव पधारे
मृत गाय दिया जीवन दाना , तब से लोगों ने पहचाना
द्वार पे कहते नारायण हरि , लेने जाते कभी मधुकरी
तब से वे सत्संग सुनाते , सभी आरती शांति पाते
जो आया उद्धार कर दिया , भक्त का बेडा पार कर दिया
कितने मरणासन्न जिलाए , व्यसन मांस और मद्य छुडाये
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
एक दिन मन उकता गया , किया डीसा से कूच ।
आई मौज फकीर की , दिया झोपड़ा फूँक ॥
वे नारेश्वर धाम पधारे , जा पहुंचे नर्मदा किनारे
मीलों पीछे छोडा मंदिर , गए घोर जंगल के अन्दर
घने वृक्ष तले पत्थर पर , बैठे ध्यान निरंजन का धर
रात गयी प्रभात हो आई बाल रवि ने सूरत दिखाई
प्रातः पक्षी कोयल कूकंता , छूटा ध्यान उठे तब संता
प्रातर्विधि निवृत हो आये , तब आभास क्षुधा का पाए
सोचा मैं न कहीं जाऊँगा , यहीं बैठ कर अब खाऊँगा
जिसको गरज होगी आएगा सृष्टि कर्ता खुद लाएगा
ज्यूँ ही मन विचार वे लाये , त्यों ही दो किसान वहाँ आये
दोनों सिर पर बांधे साफा , खाद्य पेय लिए दोनों हाथा
बोले जीवन सफल है आज , अर्घ्य स्वीकारो महाराज
बोले संत और पे जाओ जो है तुम्हारा उसे खिलाओ
बोले किसान आपको देखा , स्वप्न में मार्ग रात को देखा
हमारा न कोई संत है दूजा , आओ गाँव करें तुमरी पूजा
आसाराम तब मन में धारे , निराकार आधार हमारे
पिया दूध थोडा फल खाया , नदी किनारे जोगी धाय
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
गांधीनगर गुजरात में , है मोटेरा ग्राम ।
ब्रह्मनिष्ठ श्री संत का , यहीं है पावन धाम ॥
आत्मानंद में मस्त है , करे वेदान्ती खेल ।
भक्ति योग और ज्ञान का , सदगुरु करते मेल ॥
साधिकाओं का अलग , आश्रम नारी उत्थान ।
नारी शक्ति जागृत सदा , जिसका नहीं बयान ॥
बालक वृद्ध और नर नारी , सभी प्रेरणा पाए भारी
एक बार जो दर्शन पाए , शांति का अनुभव हो जाये
नित्य विविध प्रयोग कराये , नादानुसंधान बताये
नाभि से वे ओम कहलायें , हृदय से वे राम कहलायें
सामान्य ध्यान जो लगाये , उन्हें वे गहरे में ले जायें
सबको निर्भय योग सिखाएं , सबका आत्मोत्थान करायें
हजारों के रोग मिटाए , और लाखों के शोक छुडाये
अमृतमय प्रसाद जब देते , भक्त का रोग शोक हर लेते
जिसने नाम का दान लिया है , गुरु अमृत का पान किया है
उनका योग क्षेम वे रखते , वे न तीन तापों से तपते
धर्म कामार्थ मोक्ष वे पाते , आपद रोगों से बच जाते
सभी शिष्य रक्षा पाते हैं , सूक्ष्म शरीर गुरु आते हैं
सचमुच गुरु हैं दीन दयाल , सहज ही कर देते हैं निहाल
वे चाहते सब झोली भर ले , निज आत्मा का दर्शन कर लें
एक सौ आठ जो पाठ करेंगे , उनके सारे काज सरेंगे
गंगाराम शील है दासा , होंगी पूर्ण सभी अभिलाषा
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
वराभयदाता सदगुरु , परम ही भक्त कृपाल ।
निश्चल प्रेम से जो भजे , साँई करे निहाल ॥
मन में नाम तेरा रहे , मुख पे रहे सुगीत ।
हमको इतना दीजिये , रहे चरण में प्रीत ॥
आरती श्री आसारामायण जी की
आरती श्री आसारामायण जी की
आरती श्री आसारामायण जी की
कर दे प्रभु परायण जी की
एक एक शब्द पूर्ण है इनका
दोष मिटे जैसे अग्नि में तिनका
शांति और आनंद दात्री जी की
आरती श्री आसारामायण जी की
सरल, सहज और मधुर है भाषा
पूर्ण करती हर अभिलाषा
कष्ट निवारक दुखहरनी की
आरती श्री आसारामायण जी की
ना कोई और है इनके जैसा
कंचन कार्ड पारस जैसा
भवतारक प्रिय है ये सभी की
आरती श्री आसारामायण जी की
पाठ करे जो निशिदिन इसका
पूर्ण करे जो काज हो जिसका
वर दानी कल्याणी जी की
आरती श्री आसारामायण जी की
पद कर चडे निराली मस्ती
खो जाये प्राणी, मिट जाये हस्ती
ज्ञान भक्ति और योग त्रिवेणी
आरती श्री आसारामायण जी की
रामायण और गीता के सम
नहीं है ये किसी शास्त्र से कम
छोटी सी है पर बड़े लाभ की
आरती श्री आसारामायण जी की
जिसे पड़ कर गुरु याद बड़े है
विघन हटे जो राह में खडे है
विघन निवारक दुःख हरनी की
सुखकारी मंगलकरनी की
शिष्यों की हिरदय मलहारिणी जी की
आरती श्री आसारामायण जी की
आरती श्री आसारामायण जी की
कर दे प्रभु परायण जी की
एक एक शब्द पूर्ण है इनका
दोष मिटे जैसे अग्नि में तिनका
शांति और आनंद दात्री जी की
आरती श्री आसारामायण जी की
सरल, सहज और मधुर है भाषा
पूर्ण करती हर अभिलाषा
कष्ट निवारक दुखहरनी की
आरती श्री आसारामायण जी की
ना कोई और है इनके जैसा
कंचन कार्ड पारस जैसा
भवतारक प्रिय है ये सभी की
आरती श्री आसारामायण जी की
पाठ करे जो निशिदिन इसका
पूर्ण करे जो काज हो जिसका
वर दानी कल्याणी जी की
आरती श्री आसारामायण जी की
पद कर चडे निराली मस्ती
खो जाये प्राणी, मिट जाये हस्ती
ज्ञान भक्ति और योग त्रिवेणी
आरती श्री आसारामायण जी की
रामायण और गीता के सम
नहीं है ये किसी शास्त्र से कम
छोटी सी है पर बड़े लाभ की
आरती श्री आसारामायण जी की
जिसे पड़ कर गुरु याद बड़े है
विघन हटे जो राह में खडे है
विघन निवारक दुःख हरनी की
सुखकारी मंगलकरनी की
शिष्यों की हिरदय मलहारिणी जी की
आरती श्री आसारामायण जी की
आये हो जगत में हमारे लिए गुरु तुम
आये हो जगत में हमारे लिए गुरु तुम
सूरत नूरानी मन में बसी है
ऐसी छवि हो तुम
आये हो जगत में हमारे लिए गुरु तुम
मीरा और शबरी ने गुरु आज्ञा मानी
ज्ञानेश्वर जी ने भी गुरु महिमा जानी
ज्ञान बदते , मार्ग दिखाते .
रब की मूरत हो तुम
आये हो जगत में हमारे लिए गुरु तुम
कितनों को तेरी भक्ति ने तारा
कितनों का तुमने जीवन सवारा
सांसो में बसते, धड़कन चलाते.
सृष्टि के कर्ता हो तुम
आये हो जगत में हमारे लिए गुरु तुम
सच झूठे की हमको परख नहीं थी
राह सही थी न सोच सही थी
तुमने उबारा, हमको सवारा
सचे हितेषी तो तुम
आये हो जगत में हमारे लिए गुरु तुम
दूर हो तन से परख क्या पड़ता
द्रण निष्ठा से शिष्य आगे है बढता
सपनो में आते हो, अपना बनाते हो
हम सबके इश्वर हो तुम
आये हो जगत में हमारे लिए गुरु तुम
एकलव्य की थी निराली थी रीति
अद्भुत थी आरुणी, धुव की वो प्रीति
साची हो श्रद्दा , अटल भरोसा
हमको भी दे दो तुम
आये हो जगत में हमारे लिए गुरु तुम
कृपा के बदले में हम तुमको क्या दे हम
चरणों में खुद को ही अर्पण करे हम
ये उपकार करना, दिल में ही रहना
दूर न जाना तुम
आये हो जगत में हमारे लिए गुरु तुम.
तुम बिन कोई न इच्छा रखे हम
जैसा भी चाहो वही करे हम
तुमको ही ध्याये, तुमको ही पाए
हम सबकी मंजिल तो तुम
आये हो जगत में हमारे लिए गुरु तुम.
सूरत नूरानी मन में बसी है
ऐसी छवि हो तुम
आये हो जगत में हमारे लिए गुरु तुम
मीरा और शबरी ने गुरु आज्ञा मानी
ज्ञानेश्वर जी ने भी गुरु महिमा जानी
ज्ञान बदते , मार्ग दिखाते .
रब की मूरत हो तुम
आये हो जगत में हमारे लिए गुरु तुम
कितनों को तेरी भक्ति ने तारा
कितनों का तुमने जीवन सवारा
सांसो में बसते, धड़कन चलाते.
सृष्टि के कर्ता हो तुम
आये हो जगत में हमारे लिए गुरु तुम
सच झूठे की हमको परख नहीं थी
राह सही थी न सोच सही थी
तुमने उबारा, हमको सवारा
सचे हितेषी तो तुम
आये हो जगत में हमारे लिए गुरु तुम
दूर हो तन से परख क्या पड़ता
द्रण निष्ठा से शिष्य आगे है बढता
सपनो में आते हो, अपना बनाते हो
हम सबके इश्वर हो तुम
आये हो जगत में हमारे लिए गुरु तुम
एकलव्य की थी निराली थी रीति
अद्भुत थी आरुणी, धुव की वो प्रीति
साची हो श्रद्दा , अटल भरोसा
हमको भी दे दो तुम
आये हो जगत में हमारे लिए गुरु तुम
कृपा के बदले में हम तुमको क्या दे हम
चरणों में खुद को ही अर्पण करे हम
ये उपकार करना, दिल में ही रहना
दूर न जाना तुम
आये हो जगत में हमारे लिए गुरु तुम.
तुम बिन कोई न इच्छा रखे हम
जैसा भी चाहो वही करे हम
तुमको ही ध्याये, तुमको ही पाए
हम सबकी मंजिल तो तुम
आये हो जगत में हमारे लिए गुरु तुम.
सुरेश बापजी के स्वर में (मुझे लागी लगन गुरुचरन्न की)
मुझे गर्व न और सहारों का
बस तेरा सहारा काफी है .
बन बन के सहारे छुटते है
ये रसम पुरानी है जग की
टूटे न कभी छूटे न कभी
बस तेरा सहारा काफी है.
विशाखापतनम में सत्संग था बंगलादेश के एक सज्जन आये थे है तो अपने भारतीय एक अच्छी पोस्ट पर है ५५०००-६०००० मिलता है कह रहे थे की कुछ भी नहीं था बहार का लाभ हुआ पर अन्दर बड़ी शांति रहती है पहले कितना दुखी था कितना मानसिक रोग से दुखी था पर गुरुमंत्र का सहारा मिला गुरु का सहारा मिला बस मुझे और कुछ नहीं चाहिए पहले जितना आकर्षण होता था
कोटा के एक सज्जन यहाँ आये होंगे शादीशुदा है उनका एक बच्चा है बोले मुझे हर नारी वैष्णोदेवी लगती है मेरी आख से गुरुदेव ने धोखे को हटा दिया गुरु की सीख रूपी सुरमे को जब से मैंने आख में लगाया . पहले वैष्णोदेवी जाता था कोटा से दो ढाई दिन लगते थे तब तक पानी भी नहीं पीता था विश्नोदेवी माता ने ही मुझे बापूजी तक पहुचाया अब बापूजी ने मुझे कितना उचा ऊठा दिया
पहले नजरो को धोखा होता था
नजरो को धोका देते है ये झूठे नज़ारे दुनिया के,
व्यक्ति का मन आकर्षण हो जाता है किसी का रूप देखकर ,किसी का घर , बड़ी गाड़ी देखकर, किसी का पद देखकर , किसी की प्रतिष्ठा देखकर ये गलत है
नजरो को धोखा देते है ये झूठे नज़ारे दुनिया के,
मेरी प्यासी नजरो के लिए बस तेरा नजर काफी है
बन बन के सहारे छुटते है ये रसम पुरानी है जग की
टूटे न कभी छूटे न कभी बस तेरा सहारा काफी है.
यहाँ इतनी संख्या में भक्त बैठे है इतनी भीड़ है किसलिए आये है केवल गुरुदेव के दर्शन करने के लिए उनके वचन सुनने के लिए जब तक बापूजी पधारे तब तक शांति से बैठे रहते है ये किसी और को सुनने के लिए या मुझे सुनने के लिए नहीं बापूजी अब आयेंगे अब आयेंगे एक चाह जेसे पहिहे को बरसात के कुछ नहीं लेना होता उसे तो स्वाती की एक बूंद से लेना होता है.
मेरी नजर में सवाल है, आपकी नजर का सवाल है
मेरी नजर में सवाल है, आपकी नजर का सवाल है
इशारा तेरी रहमत का मुझे एक बार मिल जाये मेरा उजड़ा हुआ चमन गुले गुलजार हो जाये.
पहिहे को मतलब ही क्या इन नदियों और तालाबों से 2
बादल से बरसती स्वाती की बस एक ही धारा काफी है 2
बन बन के सहारे छुटते है ये रसम पुरानी है जग की
टूटे न कभी छूटे न कभी बस तेरा सहारा काफी है.
आगरा के आश्रम में कार्यक्रम था एक महिला आई बोले मेरी बहन का बच्चा चल फिर नहीं सकता, वील कुर्सी पर है .आप आश्रम में रहते हो आप मेरी बापूजी से बात कर दो मैंने उनको कहा क्यों बोली ठीक हो जायेगा बापूजी आशीर्वाद देंगे. मैंने कहा की आशीर्वाद तो बरस ही रहा है अगर उनका आशीर्वाद नहीं होता तो आप आते ही नहीं माता जी आशीर्वाद है तभी आप आई हो बोले बात कर दो . मैंने कहा आप इस बच्चे को भगवन नाम की दीक्षा देते है वो दिलवा दो वो बोली ये निचे बैठ नहीं पायेगा मैंने कहा हम कुर्सी की व्यवस्था कर देते है ये दीक्षा दिलाओ ये जप करेगा . ब्रमज्ञानी महापुरुषों को कोई संप्रदाय नहीं चलाना होता उनको तो सबका भला करना होता है .
पटियाला से सिख बंधू आये थे मंजीत सिंह उनका नाम था उन्होने कहा मैंने सोनी टीवी पर बापूजी को देखा मुझे लगा की ये हमारे गुरुनानक जी है इसलिए मई दीक्षा लेने आया हूँ पर बापूजी उस दिन दीक्षा दे चुके थे. योगनुयोग पटियाला उनके पटियाला में ही गुरुदेव का सत्संग हुआ फिर उन्होने दीक्षा ली मुझे बहुत खुश होकर बता रहे थे.
उस बच्चे को दीक्षा दिलवा दी ढाई महीने में बाद वह महिला बहुत खुश होकर आई और कहा वो बच्चा अब चल फिर सकता है दीक्षा लेकर जप करने से उसके महापातक नष्ट हो गए
यहाँ रिश्वत और सिफारिश से कोई काम नहीं बन सकता है
बिगडी स्वर जाने में लिए बस तेरा सहारा काफी है .
बिगडी स्वर जाने में लिए एक तेरा इशारा काफी है .
हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ.
बस तेरा सहारा काफी है .
बन बन के सहारे छुटते है
ये रसम पुरानी है जग की
टूटे न कभी छूटे न कभी
बस तेरा सहारा काफी है.
विशाखापतनम में सत्संग था बंगलादेश के एक सज्जन आये थे है तो अपने भारतीय एक अच्छी पोस्ट पर है ५५०००-६०००० मिलता है कह रहे थे की कुछ भी नहीं था बहार का लाभ हुआ पर अन्दर बड़ी शांति रहती है पहले कितना दुखी था कितना मानसिक रोग से दुखी था पर गुरुमंत्र का सहारा मिला गुरु का सहारा मिला बस मुझे और कुछ नहीं चाहिए पहले जितना आकर्षण होता था
कोटा के एक सज्जन यहाँ आये होंगे शादीशुदा है उनका एक बच्चा है बोले मुझे हर नारी वैष्णोदेवी लगती है मेरी आख से गुरुदेव ने धोखे को हटा दिया गुरु की सीख रूपी सुरमे को जब से मैंने आख में लगाया . पहले वैष्णोदेवी जाता था कोटा से दो ढाई दिन लगते थे तब तक पानी भी नहीं पीता था विश्नोदेवी माता ने ही मुझे बापूजी तक पहुचाया अब बापूजी ने मुझे कितना उचा ऊठा दिया
पहले नजरो को धोखा होता था
नजरो को धोका देते है ये झूठे नज़ारे दुनिया के,
व्यक्ति का मन आकर्षण हो जाता है किसी का रूप देखकर ,किसी का घर , बड़ी गाड़ी देखकर, किसी का पद देखकर , किसी की प्रतिष्ठा देखकर ये गलत है
नजरो को धोखा देते है ये झूठे नज़ारे दुनिया के,
मेरी प्यासी नजरो के लिए बस तेरा नजर काफी है
बन बन के सहारे छुटते है ये रसम पुरानी है जग की
टूटे न कभी छूटे न कभी बस तेरा सहारा काफी है.
यहाँ इतनी संख्या में भक्त बैठे है इतनी भीड़ है किसलिए आये है केवल गुरुदेव के दर्शन करने के लिए उनके वचन सुनने के लिए जब तक बापूजी पधारे तब तक शांति से बैठे रहते है ये किसी और को सुनने के लिए या मुझे सुनने के लिए नहीं बापूजी अब आयेंगे अब आयेंगे एक चाह जेसे पहिहे को बरसात के कुछ नहीं लेना होता उसे तो स्वाती की एक बूंद से लेना होता है.
मेरी नजर में सवाल है, आपकी नजर का सवाल है
मेरी नजर में सवाल है, आपकी नजर का सवाल है
इशारा तेरी रहमत का मुझे एक बार मिल जाये मेरा उजड़ा हुआ चमन गुले गुलजार हो जाये.
पहिहे को मतलब ही क्या इन नदियों और तालाबों से 2
बादल से बरसती स्वाती की बस एक ही धारा काफी है 2
बन बन के सहारे छुटते है ये रसम पुरानी है जग की
टूटे न कभी छूटे न कभी बस तेरा सहारा काफी है.
आगरा के आश्रम में कार्यक्रम था एक महिला आई बोले मेरी बहन का बच्चा चल फिर नहीं सकता, वील कुर्सी पर है .आप आश्रम में रहते हो आप मेरी बापूजी से बात कर दो मैंने उनको कहा क्यों बोली ठीक हो जायेगा बापूजी आशीर्वाद देंगे. मैंने कहा की आशीर्वाद तो बरस ही रहा है अगर उनका आशीर्वाद नहीं होता तो आप आते ही नहीं माता जी आशीर्वाद है तभी आप आई हो बोले बात कर दो . मैंने कहा आप इस बच्चे को भगवन नाम की दीक्षा देते है वो दिलवा दो वो बोली ये निचे बैठ नहीं पायेगा मैंने कहा हम कुर्सी की व्यवस्था कर देते है ये दीक्षा दिलाओ ये जप करेगा . ब्रमज्ञानी महापुरुषों को कोई संप्रदाय नहीं चलाना होता उनको तो सबका भला करना होता है .
पटियाला से सिख बंधू आये थे मंजीत सिंह उनका नाम था उन्होने कहा मैंने सोनी टीवी पर बापूजी को देखा मुझे लगा की ये हमारे गुरुनानक जी है इसलिए मई दीक्षा लेने आया हूँ पर बापूजी उस दिन दीक्षा दे चुके थे. योगनुयोग पटियाला उनके पटियाला में ही गुरुदेव का सत्संग हुआ फिर उन्होने दीक्षा ली मुझे बहुत खुश होकर बता रहे थे.
उस बच्चे को दीक्षा दिलवा दी ढाई महीने में बाद वह महिला बहुत खुश होकर आई और कहा वो बच्चा अब चल फिर सकता है दीक्षा लेकर जप करने से उसके महापातक नष्ट हो गए
यहाँ रिश्वत और सिफारिश से कोई काम नहीं बन सकता है
बिगडी स्वर जाने में लिए बस तेरा सहारा काफी है .
बिगडी स्वर जाने में लिए एक तेरा इशारा काफी है .
हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ.
भक्ति मिलती शांति मिलती गुरुवर के दरबार में
भक्ति मिलती शांति मिलती गुरुवर के दरबार में
भक्ति मिलती शांति मिलती बापू के दरबार में
भक्त जानो के कष्ट है मिटते बापू के दरबार में
भक्ति मिलती शांति मिलती बापू के दरबार में
निशिदिन तेरा ध्यान लगाऊ
तेरा ही गुणगान में गाऊ
चमके उसका भाग्य सितारा
आये जो गुरुवर पे
भक्ति मिलती शांति मिलती गुरुवर के दरबार में
मेरा तेरा क्या करता है
गुरु बिन न कोई तरता है
लगे है उसकी नैया किनारे
आये जो गुरुद्वार पे
भक्ति मिलती शांति मिलती गुरुवर के दरबार में
जब भी है बापू मुस्काते
भक्तो के दिल खिल खिल जाते
होता है वो किस्मत वाला
आये जो गुरुद्वार पे
भक्ति मिलती शांति मिलती गुरुवर के दरबार में
जिनके मन में बापू बसते
कभी न वो जग में फसते
हो जाये वो निहाल वो पल में
आये जो गुरुद्वार पे
भक्ति मिलती शांति मिलती गुरुवर के दरबार में
ज्ञान से अपने को सवारे
ज्ञान ही इनका भाव से तारे
पूरी है होती सारी मुरादे
आये जो गुरुद्वार पे
भक्ति मिलती शांति मिलती गुरुवर के दरबार में
कभी भी इनसे दूर न होना
इनकी कृपा बिना जीवन सुना
होती है रहमत की वर्षा
आये जो गुरुद्वार पे
भक्ति मिलती शांति मिलती गुरुवर के दरबार में
जिस पर नूरानी नजर है डाले
खुलते उसके भाग्य के तारे
बिन मांगे सब कुछ है मिलता
आये जो गुरुद्वार पे
भक्ति मिलती शांति मिलती गुरुवर के दरबार में
चमके उसका भाग्य सितारा
आये जो गुरुद्वार पे
भक्ति मिलती शांति मिलती गुरुवर के दरबार में
भक्ति मिलती शांति मिलती बापू के दरबार में
भक्त जानो के कष्ट है मिटते बापू के दरबार में
भक्ति मिलती शांति मिलती बापू के दरबार में
निशिदिन तेरा ध्यान लगाऊ
तेरा ही गुणगान में गाऊ
चमके उसका भाग्य सितारा
आये जो गुरुवर पे
भक्ति मिलती शांति मिलती गुरुवर के दरबार में
मेरा तेरा क्या करता है
गुरु बिन न कोई तरता है
लगे है उसकी नैया किनारे
आये जो गुरुद्वार पे
भक्ति मिलती शांति मिलती गुरुवर के दरबार में
जब भी है बापू मुस्काते
भक्तो के दिल खिल खिल जाते
होता है वो किस्मत वाला
आये जो गुरुद्वार पे
भक्ति मिलती शांति मिलती गुरुवर के दरबार में
जिनके मन में बापू बसते
कभी न वो जग में फसते
हो जाये वो निहाल वो पल में
आये जो गुरुद्वार पे
भक्ति मिलती शांति मिलती गुरुवर के दरबार में
ज्ञान से अपने को सवारे
ज्ञान ही इनका भाव से तारे
पूरी है होती सारी मुरादे
आये जो गुरुद्वार पे
भक्ति मिलती शांति मिलती गुरुवर के दरबार में
कभी भी इनसे दूर न होना
इनकी कृपा बिना जीवन सुना
होती है रहमत की वर्षा
आये जो गुरुद्वार पे
भक्ति मिलती शांति मिलती गुरुवर के दरबार में
जिस पर नूरानी नजर है डाले
खुलते उसके भाग्य के तारे
बिन मांगे सब कुछ है मिलता
आये जो गुरुद्वार पे
भक्ति मिलती शांति मिलती गुरुवर के दरबार में
चमके उसका भाग्य सितारा
आये जो गुरुद्वार पे
भक्ति मिलती शांति मिलती गुरुवर के दरबार में
Tuesday, February 12, 2008
हे माँ मह्गीबा बड़भागी, तू जो एसो लाल जनायो
प्रभु श्री राम चन्द्र जी की माता कोशल्या , प्रभु श्री कृष्ण जी की माता देवकी की तरह उदार महान श्री श्री माता मह्गीबा जी जिन्होंने विश्व को महान संत प्रदान किये है आइये उनके श्री चरणों मे हम नमन अर्पित करे
हे माँ मह्गीबा बड़भागी, तू जो एसो लाल जनायो
एसो लाल जनायो, खुद बर्ह्म तेरे घर आयो.
जो भूमि का भार उठाए, उसे तुने गोद खिलायो रे
माँ बर्ह्म तेरे घर आयो.
हे माँ मह्गीबा बड़भागी, तू जो एसो लाल जनायो
जो सृष्टि को पालन हारो, उसे तुने दूध पिलायो रे
माँ बर्ह्म तेरे घर आयो.
हे माँ मह्गीबा बड़भागी, तू जो एसो लाल जनायो
योगी जिनको पकड़ न पाए , तुने ऊँगली पकड़ चलायो रे
माँ बर्ह्म तेरे घर आयो.
हे माँ मह्गीबा बड़भागी, तू जो एसो लाल जनायो
जिनका न कोई नाम रूप है, बापू आसाराम कहायो रे
माँ बर्ह्म तेरे घर आयो.
हे माँ मह्गीबा बड़भागी, तू जो एसो लाल जनायो
स्वास स्वास मे वेद है जिनके, लीलाशाह गुरु बनायो रे
माँ बर्ह्म तेरे घर आयो.
हे माँ मह्गीबा बड़भागी, तू जो एसो लाल जनायो
भारत कर यह संत दुलारा, हम सबको है सदगुरु प्यारा
तुने पुत्र रूप मे पायो रे , माँ बर्ह्म तेरे घर आयो.
हे माँ मह्गीबा बड़भागी, तू जो एसो लाल जनायो
हे माँ मह्गीबा बड़भागी, तू जो एसो लाल जनायो
एसो लाल जनायो, खुद बर्ह्म तेरे घर आयो.
जो भूमि का भार उठाए, उसे तुने गोद खिलायो रे
माँ बर्ह्म तेरे घर आयो.
हे माँ मह्गीबा बड़भागी, तू जो एसो लाल जनायो
जो सृष्टि को पालन हारो, उसे तुने दूध पिलायो रे
माँ बर्ह्म तेरे घर आयो.
हे माँ मह्गीबा बड़भागी, तू जो एसो लाल जनायो
योगी जिनको पकड़ न पाए , तुने ऊँगली पकड़ चलायो रे
माँ बर्ह्म तेरे घर आयो.
हे माँ मह्गीबा बड़भागी, तू जो एसो लाल जनायो
जिनका न कोई नाम रूप है, बापू आसाराम कहायो रे
माँ बर्ह्म तेरे घर आयो.
हे माँ मह्गीबा बड़भागी, तू जो एसो लाल जनायो
स्वास स्वास मे वेद है जिनके, लीलाशाह गुरु बनायो रे
माँ बर्ह्म तेरे घर आयो.
हे माँ मह्गीबा बड़भागी, तू जो एसो लाल जनायो
भारत कर यह संत दुलारा, हम सबको है सदगुरु प्यारा
तुने पुत्र रूप मे पायो रे , माँ बर्ह्म तेरे घर आयो.
हे माँ मह्गीबा बड़भागी, तू जो एसो लाल जनायो
Monday, February 11, 2008
सत्संग में तेरे जो भी आता
खाली खोली भर ले जाता
मैं भी आया तेरे द्वार गुरूजी बेडा पार कर दो
इतनी कृपा सब पर करना
हाथ दया का सिर पर धरना
बार बार आओ तेरे द्वार , गुरु जी बेडा पर कर दो
तेरे दर पर आ बैठे है, प्रीत तुम्ही से कर बैठे है
तुम हो मेरे भगवान, गुरूजी बेडा पर कर दो
तुमने पुकारा हम चले आये, भेट चदाने कुछ नहीं लाये.
दिल ही करो स्वीकार, गुरु जी बेडा पार कर दो
भाव की माला भेट चदाये , हाथ जोड़कर शीश नवावे
करे पूजा सत्कार, गुरूजी बेडा पार कर दो
हमको तो सुख भोग ही प्यारा, देना जिसमे हित हो हमारा
तुम ही पालन हार , गुरु जी बेडा पार कर दो
हम सब आये तेरे द्वार, गुरूजी बेडा पार का दे
खाली खोली भर ले जाता
मैं भी आया तेरे द्वार गुरूजी बेडा पार कर दो
इतनी कृपा सब पर करना
हाथ दया का सिर पर धरना
बार बार आओ तेरे द्वार , गुरु जी बेडा पर कर दो
तेरे दर पर आ बैठे है, प्रीत तुम्ही से कर बैठे है
तुम हो मेरे भगवान, गुरूजी बेडा पर कर दो
तुमने पुकारा हम चले आये, भेट चदाने कुछ नहीं लाये.
दिल ही करो स्वीकार, गुरु जी बेडा पार कर दो
भाव की माला भेट चदाये , हाथ जोड़कर शीश नवावे
करे पूजा सत्कार, गुरूजी बेडा पार कर दो
हमको तो सुख भोग ही प्यारा, देना जिसमे हित हो हमारा
तुम ही पालन हार , गुरु जी बेडा पार कर दो
हम सब आये तेरे द्वार, गुरूजी बेडा पार का दे
अगर इस जन्म में प्रभु को जाना नहीं
अगर इस जन्म में प्रभु को जाना नहीं
तेरे नर तन पाने से क्या फायदा
जिन्दगी की शर्त अगर पूरी न हो
तो यह जिन्दगी गवाने से क्या फायदा
तेरे सोभाग्य से शुभ समय मिल गया
इसके उपयोग का योग कर न सके
जो समय पर समय को समझा नहीं
व्यर्थ अवसर बिताने से क्या फायदा
अगर इस जनम में प्रभु को जाना नही
तेरे नर तन पाने से क्या फायदा
जिन्दगी की शर्त अगर पूरी न हो
तो यह जिन्दगी गवाने से क्या फायदा
तेल साबुन से धोया है मल मल कर तन
प्रयाग काशी अयोध्या गए वृन्दावन
फिर भी निर्मल हुआ न तेरा मन
तेरे गंगा नहाने से क्या फायदा
अगर इस जन्म में प्रभु को जाना नहीं
तेरे नर तन पाने से क्या फायदा
जिन्दगी की शर्त अगर पूरी न हो
तो यह जिन्दगी गवाने से क्या फायदा
मीठी वाणी न जानी कभी बोलके
विष भरी बोली है विष घोलके
तेरी बोली में है गोली का असर
तेरे गाने बजाने से क्या फायदा
अगर इस जनम में प्रभु को जाना नहीं
तेरे नर तन पाने से क्या फायदा
जिन्दगी की शर्त अगर पूरी न हो
तो यह जिन्दगी गवाने से क्या फायदा
आने जाने का प्रतिफल जितेन्द्रिय यही
आने जाने बंधन से निर्मुक्त हो
आना जाना जग में लगा ही रहा
तेरे गाने बजाने से क्या फायदा
अगर इस जनम में प्रभु को जाना नहीं
तेरे नर तन पाने से क्या फायदा
जिन्दगी की शर्त अगर पूरी न हो
तो यह जिन्दगी गवाने से क्या फायदा
तेरे नर तन पाने से क्या फायदा
जिन्दगी की शर्त अगर पूरी न हो
तो यह जिन्दगी गवाने से क्या फायदा
तेरे सोभाग्य से शुभ समय मिल गया
इसके उपयोग का योग कर न सके
जो समय पर समय को समझा नहीं
व्यर्थ अवसर बिताने से क्या फायदा
अगर इस जनम में प्रभु को जाना नही
तेरे नर तन पाने से क्या फायदा
जिन्दगी की शर्त अगर पूरी न हो
तो यह जिन्दगी गवाने से क्या फायदा
तेल साबुन से धोया है मल मल कर तन
प्रयाग काशी अयोध्या गए वृन्दावन
फिर भी निर्मल हुआ न तेरा मन
तेरे गंगा नहाने से क्या फायदा
अगर इस जन्म में प्रभु को जाना नहीं
तेरे नर तन पाने से क्या फायदा
जिन्दगी की शर्त अगर पूरी न हो
तो यह जिन्दगी गवाने से क्या फायदा
मीठी वाणी न जानी कभी बोलके
विष भरी बोली है विष घोलके
तेरी बोली में है गोली का असर
तेरे गाने बजाने से क्या फायदा
अगर इस जनम में प्रभु को जाना नहीं
तेरे नर तन पाने से क्या फायदा
जिन्दगी की शर्त अगर पूरी न हो
तो यह जिन्दगी गवाने से क्या फायदा
आने जाने का प्रतिफल जितेन्द्रिय यही
आने जाने बंधन से निर्मुक्त हो
आना जाना जग में लगा ही रहा
तेरे गाने बजाने से क्या फायदा
अगर इस जनम में प्रभु को जाना नहीं
तेरे नर तन पाने से क्या फायदा
जिन्दगी की शर्त अगर पूरी न हो
तो यह जिन्दगी गवाने से क्या फायदा
ओ जय जय सदगुरुदेव जय जय सदगुरुदेव
मेरे देवा सदगुरु देवा सारी उम्र करू मैं तेरी सेवा
ओ जय जय सदगुरुदेव जय जय सदगुरुदेव
प्रेमी सब हरि गुण गाओ, और जीवन सफल बनाओ
ओ जय जय सदगुरुदेव जय जय सदगुरुदेव
गुरु अजर अमर अविनाशी, खुद आये बैकुंठ्वासी
ओ जय जय सदगुरुदेव जय जय सदगुरुदेव
गुरु सब देवन के देवा, गुरुनानक और महादेव
ओ जय जय सदगुरुदेव जय जय सदगुरुदेव
हम सेवक बड़भागी, गुरुभक्ति हमें प्रिय लागी
ओ जय जय सदगुरुदेव जय जय सदगुरुदेव
गुरु अंतर ज्योत जगावे, दिल में दिलबर दिखलावे
ओ जय जय सदगुरुदेव जय जय सदगुरुदेव
करो सेवा गुरु जी की सेवा, मिले प्रेम भक्ति का मेवा
ओ जय जय सदगुरुदेव जय जय सदगुरुदेव
ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ
राम सिया राम राम सिया राम
ओ जय जय सदगुरुदेव जय जय सदगुरुदेव
प्रेमी सब हरि गुण गाओ, और जीवन सफल बनाओ
ओ जय जय सदगुरुदेव जय जय सदगुरुदेव
गुरु अजर अमर अविनाशी, खुद आये बैकुंठ्वासी
ओ जय जय सदगुरुदेव जय जय सदगुरुदेव
गुरु सब देवन के देवा, गुरुनानक और महादेव
ओ जय जय सदगुरुदेव जय जय सदगुरुदेव
हम सेवक बड़भागी, गुरुभक्ति हमें प्रिय लागी
ओ जय जय सदगुरुदेव जय जय सदगुरुदेव
गुरु अंतर ज्योत जगावे, दिल में दिलबर दिखलावे
ओ जय जय सदगुरुदेव जय जय सदगुरुदेव
करो सेवा गुरु जी की सेवा, मिले प्रेम भक्ति का मेवा
ओ जय जय सदगुरुदेव जय जय सदगुरुदेव
ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ
राम सिया राम राम सिया राम
श्री राम जय राम जय जय राम श्री राम जय राम जय जय राम
श्री राम जय राम जय जय राम श्री राम जय राम जय जय राम
मन मंदिर में आन समाओ, प्यासी है अखिया दर्श दिखाओ
मुझको भक्ति का रंग लगा दो
श्री राम जय राम जय जय राम श्री राम जय राम जय जय राम
सब तज शरण गृही प्रभु तेरी , विनय सुनो अब गुरुवर मेरी
कृपा करो हे कृपानिधान
श्री राम जय राम जय जय राम श्री राम जय राम जय जय राम
तेरे ही सहारे मेरी जीवन नैया
तू ही खेविया है बेडा पार लगेया
निशिदिन करू मैं तेरा गुणगान
विठल विठल विठल्ला हरी ॐ विठल्ला
श्री राम जय राम जय जय राम श्री राम जय राम जय जय राम
मन मंदिर में आन समाओ, प्यासी है अखिया दर्श दिखाओ
मुझको भक्ति का रंग लगा दो
श्री राम जय राम जय जय राम श्री राम जय राम जय जय राम
सब तज शरण गृही प्रभु तेरी , विनय सुनो अब गुरुवर मेरी
कृपा करो हे कृपानिधान
श्री राम जय राम जय जय राम श्री राम जय राम जय जय राम
तेरे ही सहारे मेरी जीवन नैया
तू ही खेविया है बेडा पार लगेया
निशिदिन करू मैं तेरा गुणगान
विठल विठल विठल्ला हरी ॐ विठल्ला
श्री राम जय राम जय जय राम श्री राम जय राम जय जय राम
होगा आत्मज्ञान वो दिन कब आयेंगे
होगा आत्मज्ञान वो दिन कब आयेंगे
मिटे बर्ह्म अज्ञान वो दिन कब आयेंगे
सदगुरु देवा कृपा करेंगे, भाव बंधन से पार करेंगे
बालक अपना जान वो दिन कब आयेंगे
मिटे बर्ह्म अज्ञान वो दिन कब आयेंगे
होगा आत्मज्ञान वो दिन कब आयेंगे
जब जब आना पड़े जगत में बनी रहे रूचि सत्संगत में
सुमिरन हो गुरुनाम वो दिन कब आयेंगे
मिटे बर्ह्म अज्ञान वो दिन कब आयेंगे
होगा आत्मज्ञान वो दिन कब आयेंगे
बार बार इस जग में आऊ, सदगुरु सेवा दर्श को पाऊ
सबके आऊ काम वो दिन कब आयेंगे
मिटे बर्ह्म अज्ञान वो दिन कब आयेंगे
होगा आत्मज्ञान वो दिन कब आयेंगे
जब जब चर्चा हो इश्वर की आवे याद मुझे गुरुवर की
पल में लग जाये ध्यान वो दिन कब आयेंगे
मिटे बर्ह्म अज्ञान वो दिन कब आयेंगे
होगा आत्मज्ञान वो दिन कब आयेंगे
ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
मिटे बर्ह्म अज्ञान वो दिन कब आयेंगे
सदगुरु देवा कृपा करेंगे, भाव बंधन से पार करेंगे
बालक अपना जान वो दिन कब आयेंगे
मिटे बर्ह्म अज्ञान वो दिन कब आयेंगे
होगा आत्मज्ञान वो दिन कब आयेंगे
जब जब आना पड़े जगत में बनी रहे रूचि सत्संगत में
सुमिरन हो गुरुनाम वो दिन कब आयेंगे
मिटे बर्ह्म अज्ञान वो दिन कब आयेंगे
होगा आत्मज्ञान वो दिन कब आयेंगे
बार बार इस जग में आऊ, सदगुरु सेवा दर्श को पाऊ
सबके आऊ काम वो दिन कब आयेंगे
मिटे बर्ह्म अज्ञान वो दिन कब आयेंगे
होगा आत्मज्ञान वो दिन कब आयेंगे
जब जब चर्चा हो इश्वर की आवे याद मुझे गुरुवर की
पल में लग जाये ध्यान वो दिन कब आयेंगे
मिटे बर्ह्म अज्ञान वो दिन कब आयेंगे
होगा आत्मज्ञान वो दिन कब आयेंगे
ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
भक्तो के भगवान को बार बार वंदना
भक्तो के भगवान को बार बार वंदना
बार बार वंदना हजार बार वंदना
राधा के श्याम को बार बार वंदना
सीता के राम को बार बार वंदना
सदगुरु भगवान को बार बार वंदना
बार बार वंदना हजार बार वंदना
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
सदगुरु भगवान हमें शरणागति देना
शरणागति देना हमें अनन्य भक्ति देना
बर्ह्म से हो प्यार हमें ऐसी मति देना.
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
नाम का सहारा देना चरणों में गुजारा देना
वासना को दूर कर उपासना भरपूर करना
जैसी शांति पाई है तुमने वैसी हमें देना
सदगुरु भगवान हमें शरणागति देना
शरणागति देना हमें अनन्य भक्ति देना
बर्ह्म से हो प्यार हमें ऐसी मति देना.
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव
मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम
चरणों का प्रेम देना , पूजा नित नेम देना
मन में विश्वास देना, दिल में प्रकाश देना
तेरे ही चरणों में श्रद्धा बड़ा देना
बर्ह्म से हो प्यार हमें ऐसी मति देना.
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव
मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम
जैसे माँ के प्यार बिना बालक अनाथ है
वेसे गुरुज्ञान बिना जीव भी अनाथ है
आत्मा परमात्मा का भेद मिटा देना
सदगुरु भगवान हमें शरणागति देना
बर्ह्म से हो प्यार हमें ऐसी मति देना.
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव
मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम
चरणों का ध्यान देना , गीता का ज्ञान देना
वेदों का गान देना, भक्ति का दान देना
तेरे बिना कोन हमें , अपना बना लेना
सदगुरु भगवन हमें शरणागति देना
बर्ह्म से हो प्यार हमें ऐसी मति देना.
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव
मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम
राम बनकर हमने अहिल्या को तारा
सारथी बन अर्जुन के रथ को संवारा
मीरा के जहर को भी अमृत बनाया
खंभे से प्रगट हो प्रह्लाद को बचाया
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव
मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम
बार बार वंदना हजार बार वंदना
राधा के श्याम को बार बार वंदना
सीता के राम को बार बार वंदना
सदगुरु भगवान को बार बार वंदना
बार बार वंदना हजार बार वंदना
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
सदगुरु भगवान हमें शरणागति देना
शरणागति देना हमें अनन्य भक्ति देना
बर्ह्म से हो प्यार हमें ऐसी मति देना.
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
नाम का सहारा देना चरणों में गुजारा देना
वासना को दूर कर उपासना भरपूर करना
जैसी शांति पाई है तुमने वैसी हमें देना
सदगुरु भगवान हमें शरणागति देना
शरणागति देना हमें अनन्य भक्ति देना
बर्ह्म से हो प्यार हमें ऐसी मति देना.
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव
मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम
चरणों का प्रेम देना , पूजा नित नेम देना
मन में विश्वास देना, दिल में प्रकाश देना
तेरे ही चरणों में श्रद्धा बड़ा देना
बर्ह्म से हो प्यार हमें ऐसी मति देना.
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव
मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम
जैसे माँ के प्यार बिना बालक अनाथ है
वेसे गुरुज्ञान बिना जीव भी अनाथ है
आत्मा परमात्मा का भेद मिटा देना
सदगुरु भगवान हमें शरणागति देना
बर्ह्म से हो प्यार हमें ऐसी मति देना.
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव
मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम
चरणों का ध्यान देना , गीता का ज्ञान देना
वेदों का गान देना, भक्ति का दान देना
तेरे बिना कोन हमें , अपना बना लेना
सदगुरु भगवन हमें शरणागति देना
बर्ह्म से हो प्यार हमें ऐसी मति देना.
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव
मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम
राम बनकर हमने अहिल्या को तारा
सारथी बन अर्जुन के रथ को संवारा
मीरा के जहर को भी अमृत बनाया
खंभे से प्रगट हो प्रह्लाद को बचाया
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव
मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम मेरे राम
साई सबको सुख पहुचाए, नर रूप में आये नारायण
साई सबको सुख पहुचाये, नर रूप मे आये नारायण
गुरु ज्योत से ज्योत जगाये, नर रूप मी आये नारायण
हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ
मिटे अविद्या गुरुवच्नन से, आनंद मिले गुरु दर्शन से
गुरु घाट से अलख जगाये, नर रूप मे आये नारायण
हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ
दीक्षा देकर धन्य बनाये, अपना सुख और चैन लुटाए
गुरु जीव को ब्रह्म बनाये, नर रूप में आये नारायण
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
शरणागत को कुछ नहीं करना , गुरुवाणी में जीना मरना
सब शास्त्र यही समझाए, गुरु रूप में आये नारायण
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
गुरुकरना कल्याणी जाने, जाति वरन कुल भेद न माने
हर भक्त को वह अपनाए, नर रूप में आये नारायण
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
अनुभव हो जो सुना न देखा, कर्मो का मिट जाये लेखा
जन्मों का अंत हो जाये, नर रूप में आये नारायण
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
गुरु ज्योत से ज्योत जगाये, नर रूप मी आये नारायण
हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ
मिटे अविद्या गुरुवच्नन से, आनंद मिले गुरु दर्शन से
गुरु घाट से अलख जगाये, नर रूप मे आये नारायण
हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ
दीक्षा देकर धन्य बनाये, अपना सुख और चैन लुटाए
गुरु जीव को ब्रह्म बनाये, नर रूप में आये नारायण
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
शरणागत को कुछ नहीं करना , गुरुवाणी में जीना मरना
सब शास्त्र यही समझाए, गुरु रूप में आये नारायण
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
गुरुकरना कल्याणी जाने, जाति वरन कुल भेद न माने
हर भक्त को वह अपनाए, नर रूप में आये नारायण
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
अनुभव हो जो सुना न देखा, कर्मो का मिट जाये लेखा
जन्मों का अंत हो जाये, नर रूप में आये नारायण
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
संत का निंदक महा हत्यारा
संत का निंदक महा हत्यारा , संत का निंदक परमेश्वर मारा
निंदक की कभी पूजे न आस, संत का निंदक सदा हो निराश
सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु
संत का निंदक महा अहंकारी, संत का निंदक सदा हो भिखारी
संत के निंदक की मति हो मलीन, संत का निंदक शोभा से हीन
सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु
संत का निंदक अंतर का थोथा, जैसे साँस बिन मृतक का होता
संत का निंदक सर्प योनी पावे, संत का निंदक अजगर होवे
सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु
अभी हम सुन रहे थे गुरुनानक देव जी की वाणी. सुखमनी साहिब में आता है संत की निंदा करने से कैसी दुर्गति होती है . हम सुखमनी साहिब के वचन सुन रहे थे.अब संत का संग करने से क्या लाभ होता है वो बाबा नानकदेव फरमाते है सुखमनी साहिब का वचन
साधु का संग प्रभु लागे मीठा
साधु का संग प्रभु महरीठा
साधु के संग से मिटे सब रोग
नानक साधु देते संजोग
सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु
निंदक की कभी पूजे न आस, संत का निंदक सदा हो निराश
सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु
संत का निंदक महा अहंकारी, संत का निंदक सदा हो भिखारी
संत के निंदक की मति हो मलीन, संत का निंदक शोभा से हीन
सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु
संत का निंदक अंतर का थोथा, जैसे साँस बिन मृतक का होता
संत का निंदक सर्प योनी पावे, संत का निंदक अजगर होवे
सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु
अभी हम सुन रहे थे गुरुनानक देव जी की वाणी. सुखमनी साहिब में आता है संत की निंदा करने से कैसी दुर्गति होती है . हम सुखमनी साहिब के वचन सुन रहे थे.अब संत का संग करने से क्या लाभ होता है वो बाबा नानकदेव फरमाते है सुखमनी साहिब का वचन
साधु का संग प्रभु लागे मीठा
साधु का संग प्रभु महरीठा
साधु के संग से मिटे सब रोग
नानक साधु देते संजोग
सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु
गुरुज्ञान पालो रे बर्ह्म्ज्ञान पा लो
गुरुज्ञान पालो रे बर्ह्म्ज्ञान पा लो
गुरुवर की ज्योति से ज्योत को जगा लो
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
गुरुवर की आँखों में तेज और प्रकाश है
गुरुवर के चरणों में तीर्थो का वास है
गुरुवर की सूरत को मन में बसा लो
गुरुवर की ज्योति से ज्योत को जगा लो
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
गुरुवर एक शक्ति है, अवतारी व्यक्ति है
गुरुवर की वाणी है सोऽहं की शक्ति है
गुरुवर की सेवा को साधना बना लो
गुरुवर की ज्योति से ज्योत को जगा लो
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
ज्ञानदाता सदगुरु है , प्राणदाता सदगुरु है
शांति दाता सदगुरु है, शक्ति दाता सदगुरु है
गुरुवर से कहना मेरी नैया को संभा लो
गुरु और गोविन्द के भेद को मिटा दो
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
गुरुवर की ज्योति से ज्योत को जगा लो
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
गुरुवर की आँखों में तेज और प्रकाश है
गुरुवर के चरणों में तीर्थो का वास है
गुरुवर की सूरत को मन में बसा लो
गुरुवर की ज्योति से ज्योत को जगा लो
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
गुरुवर एक शक्ति है, अवतारी व्यक्ति है
गुरुवर की वाणी है सोऽहं की शक्ति है
गुरुवर की सेवा को साधना बना लो
गुरुवर की ज्योति से ज्योत को जगा लो
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
ज्ञानदाता सदगुरु है , प्राणदाता सदगुरु है
शांति दाता सदगुरु है, शक्ति दाता सदगुरु है
गुरुवर से कहना मेरी नैया को संभा लो
गुरु और गोविन्द के भेद को मिटा दो
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
जो शरण गुरु की आया , इहलोक सुखी परलोक सुखी
जो शरण गुरु की आया , इहलोक सुखी परलोक सुखी
रामायण में शिवजी कहते, भागवत में सुखदेव जी कहते
गुरुवाणी में नानक जी कहते, जपो संत संग राम
इहलोक सुखी परलोक सुखी
हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी ॐ हरी हरी ॐ
चिंता और भय सब मिट जाये, दुर्गुण दोष सभी मिट जाये
चमके भाग्य सितारा , इहलोक सुखी परलोक सुखी
हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी ॐ हरी हरी ॐ
सांसो में हो नाम का सुमिरन , मन में हो गुरुदेव का चिंतन
जिसने यह अपनाया, इहलोक सुखी परलोक सुखी
हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी ॐ हरी हरी ॐ
बर्ह्म्ज्ञानी साकार बर्ह्म है , इनका न कोई बंधन है
सबको करे महान , इहलोक सुखी परलोक सुखी
हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी ॐ हरी हरी ॐ
कृपा तुम्हारी पा जायेंगे, जो सत्संग में आ जायेंगे
हो जाये भाव जग पार,इहलोक सुखी परलोक सुखी
हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी ॐ हरी हरी ॐ
जो संतो की निंदा करते , अपना ही वो वंश गवाते
जो संत शरण में जाते, इहलोक सुखी परलोक सुखी
हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी ॐ हरी हरी ॐ
रामायण में शिवजी कहते, भागवत में सुखदेव जी कहते
गुरुवाणी में नानक जी कहते, जपो संत संग राम
इहलोक सुखी परलोक सुखी
हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी ॐ हरी हरी ॐ
चिंता और भय सब मिट जाये, दुर्गुण दोष सभी मिट जाये
चमके भाग्य सितारा , इहलोक सुखी परलोक सुखी
हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी ॐ हरी हरी ॐ
सांसो में हो नाम का सुमिरन , मन में हो गुरुदेव का चिंतन
जिसने यह अपनाया, इहलोक सुखी परलोक सुखी
हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी ॐ हरी हरी ॐ
बर्ह्म्ज्ञानी साकार बर्ह्म है , इनका न कोई बंधन है
सबको करे महान , इहलोक सुखी परलोक सुखी
हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी ॐ हरी हरी ॐ
कृपा तुम्हारी पा जायेंगे, जो सत्संग में आ जायेंगे
हो जाये भाव जग पार,इहलोक सुखी परलोक सुखी
हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी ॐ हरी हरी ॐ
जो संतो की निंदा करते , अपना ही वो वंश गवाते
जो संत शरण में जाते, इहलोक सुखी परलोक सुखी
हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी ॐ हरी हरी ॐ
रेहमता करदा है झोलिया भरदा है
रेहमता करदा है झोलिया भरदा है
पीरा दा पीर मेरा साई फकीर मेरा सदगुरु प्यारा है
मेरा सदगुरु सच्चा साई, संगता ते मेरा करदा
जेडा शरण साई दी आवे, ओ भाव सागर तू तरदा
करे उजियाला है, जग तू निराला है
पीरा दा पीर मेरा साई फकीर मेरा सदगुरु प्यारा है
उनने हरि नाम दी सारे जग विच है धूम मचाई
जिसने है नाम ध्याया उसने ही शांति पायी
ये शान निराली है जगदावाली है
पीरा दा पीर मेरा साई फकीर मेरा सदगुरु प्यारा है
ये लीलशाह दे प्यारे, थाउमल दे है दुलारे
मह्गीबा माँ दे प्यारे, सारे जग नू तारण हारे
जग तू न्याला है, साई प्यारा है
पीरा दा पीर मेरा साई फकीर मेरा सदगुरु प्यारा है
पीरा दा पीर मेरा साई फकीर मेरा सदगुरु प्यारा है
मेरा सदगुरु सच्चा साई, संगता ते मेरा करदा
जेडा शरण साई दी आवे, ओ भाव सागर तू तरदा
करे उजियाला है, जग तू निराला है
पीरा दा पीर मेरा साई फकीर मेरा सदगुरु प्यारा है
उनने हरि नाम दी सारे जग विच है धूम मचाई
जिसने है नाम ध्याया उसने ही शांति पायी
ये शान निराली है जगदावाली है
पीरा दा पीर मेरा साई फकीर मेरा सदगुरु प्यारा है
ये लीलशाह दे प्यारे, थाउमल दे है दुलारे
मह्गीबा माँ दे प्यारे, सारे जग नू तारण हारे
जग तू न्याला है, साई प्यारा है
पीरा दा पीर मेरा साई फकीर मेरा सदगुरु प्यारा है
हरि हरि ॐ बोलो हरि हरि ॐ
हरि ॐ बोलो हरि हरि ॐ
हरि हरि ॐ बोलो हरि हरि ॐ
यह महफिल है मस्तानों की
दिल वाला की परवानों की
उनकी मस्ती का क्या कहना
हर भजन में मिलता है गहना
हरि हरि ॐ बोलो हरि हरि ॐ
जबसे सदगुरु का नाम लिया
हम गिरते हुए को थाम लिया
सदगुरु ही मेरा सहारा है
हमे भाव से पार उतारा है
हरि हरि ॐ बोलो हरि हरि ॐ
मेरे साई तारनहार हुए
वे कलयुग में अवतार हुए
सारा जग माने होए सारा जग माने साई को
साई को मेरे साई को
हरि हरि ॐ बोलो हरि हरि ॐ
जो प्रेम गुरु से करते है
वे भवसागर से तरते है
ओ उनका बेडा पार सदा
जो साई से करते प्यार सदा
हरि हरि ॐ बोलो हरि हरि ॐ
ये लीलशाह के प्यारे है
थाउमल के दुलारे है
मह्गीबा माँ के होए, मह्गीबा माँ के प्यारे है
उनकी आखो के तारे है
हरि हरि ॐ बोलो हरि हरि ॐ
हरि हरि ॐ बोलो हरि हरि ॐ
हरि हरि ॐ बोलो हरि हरि ॐ
यह महफिल है मस्तानों की
दिल वाला की परवानों की
उनकी मस्ती का क्या कहना
हर भजन में मिलता है गहना
हरि हरि ॐ बोलो हरि हरि ॐ
जबसे सदगुरु का नाम लिया
हम गिरते हुए को थाम लिया
सदगुरु ही मेरा सहारा है
हमे भाव से पार उतारा है
हरि हरि ॐ बोलो हरि हरि ॐ
मेरे साई तारनहार हुए
वे कलयुग में अवतार हुए
सारा जग माने होए सारा जग माने साई को
साई को मेरे साई को
हरि हरि ॐ बोलो हरि हरि ॐ
जो प्रेम गुरु से करते है
वे भवसागर से तरते है
ओ उनका बेडा पार सदा
जो साई से करते प्यार सदा
हरि हरि ॐ बोलो हरि हरि ॐ
ये लीलशाह के प्यारे है
थाउमल के दुलारे है
मह्गीबा माँ के होए, मह्गीबा माँ के प्यारे है
उनकी आखो के तारे है
हरि हरि ॐ बोलो हरि हरि ॐ
हरि हरि ॐ बोलो हरि हरि ॐ
दर्शन सदगुरु तेरा मैं वेख वेख जीवा
दर्शन सदगुरु तेरा मैं वेख वेख जीवा
वेख वेख जीवा नी मैं वेख वेख जीवा
दर्शन सदगुरु तेरा मैं वेख वेख जीवा
गुरां दा दर्शन रब दा दर्शन
बिन दर्शन मेरी अखिया तरसन
दर्शन सदगुरु तेरा मैं वेख वेख जीवा
मेरे गुरां दे रूप करोदा
जिस्दी रहनदी सबनू लोड़ा
दर्शन सदगुरु तेरा मैं वेख वेख जीवा
मेरे गुरां दी की है निशानी
तन जेया मुखड़ा आंख मस्तानी
दर्शन सदगुरु तेरा मैं वेख वेख जीवा
सत्संग ते विच आजा चलके
बैजा गुरां दा द्वारा मलके
दर्शन सदगुरु तेरा मैं वेख वेख जीवा
वेख वेख जीवा नी मैं वेख वेख जीवा
दर्शन सदगुरु तेरा मैं वेख वेख जीवा
वेख वेख जीवा नी मैं वेख वेख जीवा
दर्शन सदगुरु तेरा मैं वेख वेख जीवा
गुरां दा दर्शन रब दा दर्शन
बिन दर्शन मेरी अखिया तरसन
दर्शन सदगुरु तेरा मैं वेख वेख जीवा
मेरे गुरां दे रूप करोदा
जिस्दी रहनदी सबनू लोड़ा
दर्शन सदगुरु तेरा मैं वेख वेख जीवा
मेरे गुरां दी की है निशानी
तन जेया मुखड़ा आंख मस्तानी
दर्शन सदगुरु तेरा मैं वेख वेख जीवा
सत्संग ते विच आजा चलके
बैजा गुरां दा द्वारा मलके
दर्शन सदगुरु तेरा मैं वेख वेख जीवा
वेख वेख जीवा नी मैं वेख वेख जीवा
दर्शन सदगुरु तेरा मैं वेख वेख जीवा
Sunday, February 10, 2008
नश्वर जहा में भगवन हमको तेरा सहारा सहारा
नश्वर जहा में भगवन हमको तेरा सहारा सहारा
मतलब के मीत सारे सच्चा है दर तुम्हारा तुम्हारा
नश्वर जहा में भगवन हमको तेरा सहारा सहारा
कोई धन से प्यार करता कोई तन से प्यार करता
बालक हूँ मैं तो तेरा, तुझे मन से प्यार करता करता
तेरे बिना नहीं है अपना यहाँ गुजारा गुजारा
नश्वर जहा में भगवन हमको तेरा सहारा सहारा
क्या भेट तेरी लाऊ, चरणों में क्या चदाओ
तेरा है तुझको अर्पण, बस बात ये तुझको बताऊ
हमको शरण में ले लो, अनुरोध है हमारा हमारा
नश्वर जहा में भगवन हमको तेरा सहारा सहारा
तुम ही दयालु स्वामी, सेवक तुम्हे मनाता
संकट की हर घडी में बस तू ही याद आता
जब तक जीवन की नैया, देता है तू किनारा किनारा
नश्वर जहा में भगवन हमको तेरा सहारा सहारा
दृष्टि दया की रखना , हम है तेरे सहारे
जीवन की नाव प्रभु जी, कर दी तेरे हवाले हवाले
बन जाये तो बात अपनी, अगर दे दे तू किनारा किनारा
नश्वर जहा में भगवन हमको तेरा सहारा सहारा
मतलब के मीत सारे सच्चा है दर तुम्हारा तुम्हारा
नश्वर जहा में भगवन हमको तेरा सहारा सहारा
कोई धन से प्यार करता कोई तन से प्यार करता
बालक हूँ मैं तो तेरा, तुझे मन से प्यार करता करता
तेरे बिना नहीं है अपना यहाँ गुजारा गुजारा
नश्वर जहा में भगवन हमको तेरा सहारा सहारा
क्या भेट तेरी लाऊ, चरणों में क्या चदाओ
तेरा है तुझको अर्पण, बस बात ये तुझको बताऊ
हमको शरण में ले लो, अनुरोध है हमारा हमारा
नश्वर जहा में भगवन हमको तेरा सहारा सहारा
तुम ही दयालु स्वामी, सेवक तुम्हे मनाता
संकट की हर घडी में बस तू ही याद आता
जब तक जीवन की नैया, देता है तू किनारा किनारा
नश्वर जहा में भगवन हमको तेरा सहारा सहारा
दृष्टि दया की रखना , हम है तेरे सहारे
जीवन की नाव प्रभु जी, कर दी तेरे हवाले हवाले
बन जाये तो बात अपनी, अगर दे दे तू किनारा किनारा
नश्वर जहा में भगवन हमको तेरा सहारा सहारा
गुरु की महिमा गाले भजन ईश्वर का होगा
गुरु की महिमा गाले भजन ईश्वर का होगा
घडी भर ध्यान लगाले इष्ट का दर्शन होगा
खुद को बड़भागी मानो जब प्रभु सत्संग मिल जाये
वो घडी न रख के जानो, सत्संग न मन को भाये
संत का संग बनाले, तभी भगवंत मिलेगा
गुरु की महिमा गाले भजन ईश्वर का होगा
सत्शास्त्र संत और सदगुरु , तीनो की महिमा गाले
गुरुदेव दया कर दे तो घट भीतर बर्ह्म को पाले
चरणरज शीश लगाले , तो सोया भाग्य जागेगा
गुरु की महिमा गाले भजन ईश्वर का होगा
गुरुकृपा बिना नहीं संभव , उस परमेश्वर को पाना
शिव गीता पड़कर देखो मत भजन करो मनमाना
तू जल्दी दीक्षा पाले, नहीं तो पछताना होगा
गुरु की महिमा गाले भजन ईश्वर का होगा
जब तक सदगुरु का अनुभव, तू अपना नहीं बनावे
जो गुरुमुख से सुन पाया, उसे जीवन में न लावे
तू कितना भी ध्यान लगाले, तत्त्व से दूर रहेगा
गुरु की महिमा गाले भजन ईश्वर का होगा
सदगुणों की महिमा भारी, साधक में शोभा पावे
सदगुरु के बिना कर्मो में , खुशबू मीठी न आवे
बर्ह्म का ज्ञान पचाले , गुरु को भाने लगेगा
गुरु की महिमा गाले भजन ईश्वर का होगा
कोई दुश्मन नहीं हमारा , सृष्टि का सर्जनहारा
आनंद मंगल का दाता , हर घट की जानने वाला
तू हा में हा ही मिलाले , वो बाकि खुद कर लेगा
गुरु की महिमा गाले, भजन ईश्वर का होगा
घडी भर ध्यान लगाले इष्ट का दर्शन होगा
खुद को बड़भागी मानो जब प्रभु सत्संग मिल जाये
वो घडी न रख के जानो, सत्संग न मन को भाये
संत का संग बनाले, तभी भगवंत मिलेगा
गुरु की महिमा गाले भजन ईश्वर का होगा
सत्शास्त्र संत और सदगुरु , तीनो की महिमा गाले
गुरुदेव दया कर दे तो घट भीतर बर्ह्म को पाले
चरणरज शीश लगाले , तो सोया भाग्य जागेगा
गुरु की महिमा गाले भजन ईश्वर का होगा
गुरुकृपा बिना नहीं संभव , उस परमेश्वर को पाना
शिव गीता पड़कर देखो मत भजन करो मनमाना
तू जल्दी दीक्षा पाले, नहीं तो पछताना होगा
गुरु की महिमा गाले भजन ईश्वर का होगा
जब तक सदगुरु का अनुभव, तू अपना नहीं बनावे
जो गुरुमुख से सुन पाया, उसे जीवन में न लावे
तू कितना भी ध्यान लगाले, तत्त्व से दूर रहेगा
गुरु की महिमा गाले भजन ईश्वर का होगा
सदगुणों की महिमा भारी, साधक में शोभा पावे
सदगुरु के बिना कर्मो में , खुशबू मीठी न आवे
बर्ह्म का ज्ञान पचाले , गुरु को भाने लगेगा
गुरु की महिमा गाले भजन ईश्वर का होगा
कोई दुश्मन नहीं हमारा , सृष्टि का सर्जनहारा
आनंद मंगल का दाता , हर घट की जानने वाला
तू हा में हा ही मिलाले , वो बाकि खुद कर लेगा
गुरु की महिमा गाले, भजन ईश्वर का होगा
क्या भरोसा है इस जिन्दगी का
युवा तन को भूल मत जो चाहे कल्याण
नारायण इस मौत को दूजो श्री भगवान
क्या भरोसा है इस जिन्दगी का
साथ देती नहीं ये किसी का
श्वास रुक जायेगी चलते चलते
शमा बुझ जायेगी जलते जलते
क्या भरोसा है इस जिन्दगी का
चार दिन की मिली जिंदगानी हमें
चार दिन में ही करनी मुलाकात है
राख बनकर के एक दिन तो उड़ जायेंगे
उससे पहले तो हरि से मिलना तो है
क्या भरोसा है इस जिन्दगी का
कोई तेरा नहीं सब है धोखा यहाँ
काहे जीवन को यू ही गवाता है तू
राम को भूल बैठा है जिनके लिए
चार दिन में ही तुझको भुला देंगे वो
क्या भरोसा है इस जिन्दगी का
लेके कंधे पर तुझको चले जायेंगे
तेरे अपने ही तुझको जला आयेंगे
चार दिन के मुसाफिर तू सो क्यों रहा
अब तो मोहब्बत कर ले मेरे राम से
क्या भरोसा है इस जिन्दगी का
तुलसी मीरा के जैसे तो है हम नहीं
शबरी की जैसी भक्ति भी हममे नहीं
फिर भी तेरे ही बालक है हम राम जी
हमको अपनी शरण में ले लो राम जी
क्या भरोसा है इस जिन्दगी का
नारायण इस मौत को दूजो श्री भगवान
क्या भरोसा है इस जिन्दगी का
साथ देती नहीं ये किसी का
श्वास रुक जायेगी चलते चलते
शमा बुझ जायेगी जलते जलते
क्या भरोसा है इस जिन्दगी का
चार दिन की मिली जिंदगानी हमें
चार दिन में ही करनी मुलाकात है
राख बनकर के एक दिन तो उड़ जायेंगे
उससे पहले तो हरि से मिलना तो है
क्या भरोसा है इस जिन्दगी का
कोई तेरा नहीं सब है धोखा यहाँ
काहे जीवन को यू ही गवाता है तू
राम को भूल बैठा है जिनके लिए
चार दिन में ही तुझको भुला देंगे वो
क्या भरोसा है इस जिन्दगी का
लेके कंधे पर तुझको चले जायेंगे
तेरे अपने ही तुझको जला आयेंगे
चार दिन के मुसाफिर तू सो क्यों रहा
अब तो मोहब्बत कर ले मेरे राम से
क्या भरोसा है इस जिन्दगी का
तुलसी मीरा के जैसे तो है हम नहीं
शबरी की जैसी भक्ति भी हममे नहीं
फिर भी तेरे ही बालक है हम राम जी
हमको अपनी शरण में ले लो राम जी
क्या भरोसा है इस जिन्दगी का
नारायण नारायण श्रीमननारायण नारायण नारायण
नारायण नारायण श्रीमननारायण नारायण नारायण
नारायण नारायण श्रीमननारायण नारायण नारायण
ये मन की दाता तू है हर जहाँ का
मगर झोली आगे फलाऊ तो कैसे
जो पहले है वही कम नहीं है
उसे ही उठाने के काबिल नहीं हूँ
नारायण नारायण श्रीमननारायण नारायण नारायण
ज़माने की चाहत ने सबको रुलाया
हरि नाम हरगिज जुबां पर न आया
हे मालिक तेरा गुनेगार हूँ मैं
तुम्हे मुह दिखाने के काबिल नहीं हूँ
नारायण नारायण श्रीमननारायण नारायण नारायण
तुम्ही ने अदा की मुझे जिंदगानी
मगर तेरी महिमा नहीं मेने जानी
कर्जदार इतना मैं तेरी दया का
अब कर्जा चुकाने के काबिल नहीं हूँ
नारायण नारायण श्रीमननारायण नारायण नारायण
तमन्ना यही है की सिर को झुकाकर
तेरा दर्श एक बार जी भर के कर लू
सिवा आसू बिंदु के ओ मेरे मालिक
मैं कुछ भी चदाने के काबिल नहीं हूँ
नारायण नारायण श्रीमननारायण नारायण नारायण
नारायण नारायण श्रीमननारायण नारायण नारायण
नारायण नारायण श्रीमननारायण नारायण नारायण
ये मन की दाता तू है हर जहाँ का
मगर झोली आगे फलाऊ तो कैसे
जो पहले है वही कम नहीं है
उसे ही उठाने के काबिल नहीं हूँ
नारायण नारायण श्रीमननारायण नारायण नारायण
ज़माने की चाहत ने सबको रुलाया
हरि नाम हरगिज जुबां पर न आया
हे मालिक तेरा गुनेगार हूँ मैं
तुम्हे मुह दिखाने के काबिल नहीं हूँ
नारायण नारायण श्रीमननारायण नारायण नारायण
तुम्ही ने अदा की मुझे जिंदगानी
मगर तेरी महिमा नहीं मेने जानी
कर्जदार इतना मैं तेरी दया का
अब कर्जा चुकाने के काबिल नहीं हूँ
नारायण नारायण श्रीमननारायण नारायण नारायण
तमन्ना यही है की सिर को झुकाकर
तेरा दर्श एक बार जी भर के कर लू
सिवा आसू बिंदु के ओ मेरे मालिक
मैं कुछ भी चदाने के काबिल नहीं हूँ
नारायण नारायण श्रीमननारायण नारायण नारायण
नारायण नारायण श्रीमननारायण नारायण नारायण
सदगुरु जैसा परम हितेषी कोई नहीं संसार में
सदगुरु जैसा परम हितेषी कोई नहीं संसार में
गुरुचरनो में पूर्ण समर्पण तर हो जा भाव पर रे
लख चोरासी भटक भटक कर यह मानव तन पाया है
काम क्रोध मद लोभ में पड़कर इसको व्यर्थ गवाया है
कर सत्संग नाम हरि का जप कर अपना उध्हार रे
सदगुरु जैसा परम हितेषी कोई नहीं संसार में
मानव जनम प्रीति हरि गुरु में बड़े भाग्य से मिलते है
पा सके गुरु की कृपा हिरदय में फूल धरम के खिलते है
धरम वृत्ति बन कर्म हित, कर सबका उपकार रे
सदगुरु जैसा परम हितेषी कोई नहीं संसार में
सदगुरु की तू बात मानकर, हरि चरणों में प्रीति जगा
नारायण नारायण कहकर भाव बंधन सब दूर भगा
राग द्वेष मद अंहकार त्याग सबसे कर ले प्यार रे
सदगुरु जैसा परम हितेषी कोई नहीं संसार में
गुरुचरनो में पूर्ण समर्पण तर हो जा भाव पर रे
लख चोरासी भटक भटक कर यह मानव तन पाया है
काम क्रोध मद लोभ में पड़कर इसको व्यर्थ गवाया है
कर सत्संग नाम हरि का जप कर अपना उध्हार रे
सदगुरु जैसा परम हितेषी कोई नहीं संसार में
मानव जनम प्रीति हरि गुरु में बड़े भाग्य से मिलते है
पा सके गुरु की कृपा हिरदय में फूल धरम के खिलते है
धरम वृत्ति बन कर्म हित, कर सबका उपकार रे
सदगुरु जैसा परम हितेषी कोई नहीं संसार में
सदगुरु की तू बात मानकर, हरि चरणों में प्रीति जगा
नारायण नारायण कहकर भाव बंधन सब दूर भगा
राग द्वेष मद अंहकार त्याग सबसे कर ले प्यार रे
सदगुरु जैसा परम हितेषी कोई नहीं संसार में
राम नाम गायेजा, प्रीत को बढाये जा
राम नाम गायेजा, प्रीत को बढाये जा
वो ही काम आएगा, साथ तेरे जायेगा
हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ
प्रीत एक राम की और प्रीत न कही
सच्ची प्रीती के मिले झांकी मेरे राम की
शांत मन से गायेजा, राम को रमाये जा
राम से ही पायेगा, मुक्ति फल पायेगा
हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ
ज्ञान दाता सदगुरु है भक्ति दाता सदगुरु है
शक्ति दाता सदगुरु है, मुक्ति दाता सदगुरु है
गुरुप्रीत गायेजा चरणों को ध्याये जा
सेवा और सुमिरन से , गुरुद्वार जायेजा
हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ
राम और गुरुवार में भेद जनता रहे
शीघ्र गिरता जायेगा , मुक्ति उसे न मिले
ज्ञानी एसे गुरुवर है, भोले शिव महेशवर है
देखते ही एसे लगे, बैठे जेसे ईश्वर है
हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ
मान और अपमान की चोट न लगे तुझे
आस क्या निराश क्या झूठी है ये मन लगे
गुरु प्रीत गायेजा, चरणों में जायेजा
मुक्ति गीत गायेजा , खुद ही सवर जायेगा
हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ
प्रेय और श्रेय का भेद जान जायेगा
प्रेय से गिरता रहे, श्रेय उठता जायेगा
गुरु से ही पायेगा , ज्ञान ये पचायेगा
धीरता से चलते हुए , बढता ही बढ जायेगा
हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ
गुरु एक माछी है , सच्चे तेरे साथी है
सेवा पूजा अर्चना से मुक्ति तेरी दासी है
ध्यान से पुकारे जा, दर्शन को पायेजा
गुरु राम तेरे है, राम गुरु गायेजा
हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ
वो ही काम आएगा, साथ तेरे जायेगा
हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ
प्रीत एक राम की और प्रीत न कही
सच्ची प्रीती के मिले झांकी मेरे राम की
शांत मन से गायेजा, राम को रमाये जा
राम से ही पायेगा, मुक्ति फल पायेगा
हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ
ज्ञान दाता सदगुरु है भक्ति दाता सदगुरु है
शक्ति दाता सदगुरु है, मुक्ति दाता सदगुरु है
गुरुप्रीत गायेजा चरणों को ध्याये जा
सेवा और सुमिरन से , गुरुद्वार जायेजा
हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ
राम और गुरुवार में भेद जनता रहे
शीघ्र गिरता जायेगा , मुक्ति उसे न मिले
ज्ञानी एसे गुरुवर है, भोले शिव महेशवर है
देखते ही एसे लगे, बैठे जेसे ईश्वर है
हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ
मान और अपमान की चोट न लगे तुझे
आस क्या निराश क्या झूठी है ये मन लगे
गुरु प्रीत गायेजा, चरणों में जायेजा
मुक्ति गीत गायेजा , खुद ही सवर जायेगा
हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ
प्रेय और श्रेय का भेद जान जायेगा
प्रेय से गिरता रहे, श्रेय उठता जायेगा
गुरु से ही पायेगा , ज्ञान ये पचायेगा
धीरता से चलते हुए , बढता ही बढ जायेगा
हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ
गुरु एक माछी है , सच्चे तेरे साथी है
सेवा पूजा अर्चना से मुक्ति तेरी दासी है
ध्यान से पुकारे जा, दर्शन को पायेजा
गुरु राम तेरे है, राम गुरु गायेजा
हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ
सबका मंगल सबका भला हो , गुरुकामना ऐसी है
गुरु बन भवनिधि तर्हि न कोई, चाहे विरंची शंकर सम होई.
सबका मंगल सबका भला हो , गुरुकामना ऐसी है
इसीलिए तो आये धरा पर सदगुरु आसाराम जी है
भारत का नया रूप बनाने, विश्गुरु के पद पर बिठाने
योग सीध्ही के खोले खजाने, ज्ञान का झरना फिर से बहाने
सबका मंगल सबका भला हो , गुरुकामना ऐसी है
युवा धन को ऊपर उठाने , योवन संयम का पाठ पढाने
जन जन भक्ति शक्ति जगाने, निकल पड़े गुरु राम निराले
सबका मंगल सबका भला हो , गुरुकामना ऐसी है
एक एक बच्ची शबरी सी हो,मीरा जैसी योगिनी हो
सती अनुसुया सती सीता हो , मुख पर तेज माँ शक्ति का हो
सबका मंगल सबका भला हो , गुरुकामना ऐसी है
नर नर में नारायण दर्शन, सेवा दर्पण गुरु को अर्पण
दिन दुखी को गले लगाए, सबका भला हो मन से गाए
सबका मंगल सबका भला हो , गुरुकामना ऐसी है
इसीलिए तो आये धरा पर सदगुरु आसाराम जी है
सबका मंगल सबका भला हो , गुरुकामना ऐसी है
इसीलिए तो आये धरा पर सदगुरु आसाराम जी है
भारत का नया रूप बनाने, विश्गुरु के पद पर बिठाने
योग सीध्ही के खोले खजाने, ज्ञान का झरना फिर से बहाने
सबका मंगल सबका भला हो , गुरुकामना ऐसी है
युवा धन को ऊपर उठाने , योवन संयम का पाठ पढाने
जन जन भक्ति शक्ति जगाने, निकल पड़े गुरु राम निराले
सबका मंगल सबका भला हो , गुरुकामना ऐसी है
एक एक बच्ची शबरी सी हो,मीरा जैसी योगिनी हो
सती अनुसुया सती सीता हो , मुख पर तेज माँ शक्ति का हो
सबका मंगल सबका भला हो , गुरुकामना ऐसी है
नर नर में नारायण दर्शन, सेवा दर्पण गुरु को अर्पण
दिन दुखी को गले लगाए, सबका भला हो मन से गाए
सबका मंगल सबका भला हो , गुरुकामना ऐसी है
इसीलिए तो आये धरा पर सदगुरु आसाराम जी है
Saturday, February 9, 2008
देखो किसने क्या पाया मानव क्यों जग में आया
देखो किसने क्या पाया मानव क्यों जग में आया
भज लो श्री भगवान जगत में कुछ दिन के मेहमान
ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ
आने वाले को देखो, क्या संग लेकर आता है
जाने वाले को देखो क्या संग लेकर जाता है
कुछ पुण्य किये इस जग में , या यू ही यह तन व्यर्थ गवाया
देखो किसने क्या पाया मानव क्यों जग में आया
ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ
उस लोभी को भी देखो, संचय का जिसे व्यसन है
कितनी ही सम्पत्ति जोड़ी पर तृप्त ना होता मन है
कोडी ना साथ जायेगी फिर किसके लिए कमाया
देखो किसने क्या पाया मानव क्यों जग में आया
ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ
उस अभिमानी को भी देखो यह विभव रहेगा कब तक
उससे भी बढकर हो गए करोडो अब तक
मिटटी में मिल गयी उनकी जो दर्शनीय थी काया
देखो किसने क्या पाया मानव क्यों जग में आया
ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ
उस कामी को भी देखो जितना खोता जाता है
वह कई गुना ही बढकर उसके सन्मुख आता है
जिसने जितना दे डाला उतना ही लाभ कमाया
देखो किसने क्या पाया मानव क्यों जग में आया
ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ
उस त्यागी को भी देखो जो दुःख दोष को तजकर
निर्द्वन्द शांति को पाता है सत परमेश्वर को भजकर
भोगी ने राग बढाया त्यागी ने प्रेम अपनाया
देखो किसने क्या पाया मानव क्यों जग में आया
ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ
उस मोही को भी देखो सबकी ममता में भुला
निज देह में पड़कर उस परमेश्वर को भुला
ये मोह दुखो की जड़ है इसने किसको न रुलाया
देखो किसने क्या पाया मानव क्यों जग में आया
भज लो श्री भगवान जगत में कुछ दिन के मेहमान
ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ
भज लो श्री भगवान जगत में कुछ दिन के मेहमान
ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ
आने वाले को देखो, क्या संग लेकर आता है
जाने वाले को देखो क्या संग लेकर जाता है
कुछ पुण्य किये इस जग में , या यू ही यह तन व्यर्थ गवाया
देखो किसने क्या पाया मानव क्यों जग में आया
ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ
उस लोभी को भी देखो, संचय का जिसे व्यसन है
कितनी ही सम्पत्ति जोड़ी पर तृप्त ना होता मन है
कोडी ना साथ जायेगी फिर किसके लिए कमाया
देखो किसने क्या पाया मानव क्यों जग में आया
ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ
उस अभिमानी को भी देखो यह विभव रहेगा कब तक
उससे भी बढकर हो गए करोडो अब तक
मिटटी में मिल गयी उनकी जो दर्शनीय थी काया
देखो किसने क्या पाया मानव क्यों जग में आया
ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ
उस कामी को भी देखो जितना खोता जाता है
वह कई गुना ही बढकर उसके सन्मुख आता है
जिसने जितना दे डाला उतना ही लाभ कमाया
देखो किसने क्या पाया मानव क्यों जग में आया
ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ
उस त्यागी को भी देखो जो दुःख दोष को तजकर
निर्द्वन्द शांति को पाता है सत परमेश्वर को भजकर
भोगी ने राग बढाया त्यागी ने प्रेम अपनाया
देखो किसने क्या पाया मानव क्यों जग में आया
ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ
उस मोही को भी देखो सबकी ममता में भुला
निज देह में पड़कर उस परमेश्वर को भुला
ये मोह दुखो की जड़ है इसने किसको न रुलाया
देखो किसने क्या पाया मानव क्यों जग में आया
भज लो श्री भगवान जगत में कुछ दिन के मेहमान
ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ
बड़ा दुःख पाया गुरुवर चरणों से मुख मोड़कर
बड़ा दुःख पाया गुरुवर चरणों से मुख मोड़कर
रो रो बुलावे बेटा आओ गुरु दोड के
भूल को मेरी गुरुवार माफ कर देओ ना
बालक तेरा ह दाता शमा कर देओ ना
और ना सताओ अपने मुखड़े को मोड़ के
रो रो बुलावे बेटा आओ गुरु दोड के
मुझे क्या पता था की येसा दुःख पाउँगा
तुझको भुला कर दर दर ठोकरे मैं खाऊंगा
चरणों में बैठा गुरूजी दोनों हाथ जोडके
रो रो बुलावे बेटा आओ गुरु दोड के
साथी भी झूठे सारे धोखा मैं खाया हूँ
तुझको भुलाकर गुरु चैन ना पाया हूँ
आँखे खुली अब मेरी सबको टटोल के
रो रो बुलावे बेटा आओ गुरु दोड के
गुरु और शिष्य का रिश्ता अनोखा
बाकी है जग सारा धोखा ही धोखा
प्याली पिला दे गुरु हरी ॐ घोल के
रो रो बुलावे बेटा आओ गुरु दोड के
रो रो बुलावे बेटा आओ गुरु दोड के
भूल को मेरी गुरुवार माफ कर देओ ना
बालक तेरा ह दाता शमा कर देओ ना
और ना सताओ अपने मुखड़े को मोड़ के
रो रो बुलावे बेटा आओ गुरु दोड के
मुझे क्या पता था की येसा दुःख पाउँगा
तुझको भुला कर दर दर ठोकरे मैं खाऊंगा
चरणों में बैठा गुरूजी दोनों हाथ जोडके
रो रो बुलावे बेटा आओ गुरु दोड के
साथी भी झूठे सारे धोखा मैं खाया हूँ
तुझको भुलाकर गुरु चैन ना पाया हूँ
आँखे खुली अब मेरी सबको टटोल के
रो रो बुलावे बेटा आओ गुरु दोड के
गुरु और शिष्य का रिश्ता अनोखा
बाकी है जग सारा धोखा ही धोखा
प्याली पिला दे गुरु हरी ॐ घोल के
रो रो बुलावे बेटा आओ गुरु दोड के
गुरुदेव अपने दास पर इतनी दया करो
गुरुदेव अपने दास पर इतनी दया करो
अपनी दया का हाथ मेरे शीश पर धरो
निशिदिन मैं याद करता हूँ, हर ध्यान आपका
भूले न एक पल , करू गुणगान आपका
कभी भूल भी हो जाये तो मुझको शमा करो
अपनी दया का हाथ मेरे शीश पर धरो
जैसा भी बुरा भला हूँ दास आपका
रहता है मुझको सदा विश्वास आपका
करू याद जब भी तुम्हे, सन्मुख रहा करो
अपनी दया का हाथ मेरे शीश पर धरो
कल्याणकारी है सदा , गुरुनाम आपका
सतराह पर चलाना है गुरु काम आपका
जपता रहू मैं नाम गुरु ऐसी कृपा करो
अपनी दया का हाथ मेरे शीश पर धरो
जो कुछ भी मेरे पास है, है प्रसाद आपका
मिलता रहे सदा आशीर्वाद आपका
करके दया विभक्तिया तुम दूर अब करो
अपनी दया का हाथ मेरे शीश पर धरो
अपनी दया का हाथ मेरे शीश पर धरो
निशिदिन मैं याद करता हूँ, हर ध्यान आपका
भूले न एक पल , करू गुणगान आपका
कभी भूल भी हो जाये तो मुझको शमा करो
अपनी दया का हाथ मेरे शीश पर धरो
जैसा भी बुरा भला हूँ दास आपका
रहता है मुझको सदा विश्वास आपका
करू याद जब भी तुम्हे, सन्मुख रहा करो
अपनी दया का हाथ मेरे शीश पर धरो
कल्याणकारी है सदा , गुरुनाम आपका
सतराह पर चलाना है गुरु काम आपका
जपता रहू मैं नाम गुरु ऐसी कृपा करो
अपनी दया का हाथ मेरे शीश पर धरो
जो कुछ भी मेरे पास है, है प्रसाद आपका
मिलता रहे सदा आशीर्वाद आपका
करके दया विभक्तिया तुम दूर अब करो
अपनी दया का हाथ मेरे शीश पर धरो
हरी ॐ कहो हरी ॐ कहो हरी ॐ कहो
जिस देश में जिस वेश में जिस हाल में रहो
हरी ॐ कहो हरी ॐ कहो हरी ॐ कहो
जिस मन में जिस तन में जिस वन में रहो
हरी ॐ कहो हरी ॐ कहो हरी ॐ कहो
जिस मान में जिस सम्मान में अपमान में रहो
हरी ॐ कहो हरी ॐ कहो हरी ॐ कहो
जिस योग में जिस भोग में जिस रोग में रहो
हरी ॐ कहो हरी ॐ कहो हरी ॐ कहो
हरी ॐ कहो हरी ॐ कहो हरी ॐ कहो
जिस मन में जिस तन में जिस वन में रहो
हरी ॐ कहो हरी ॐ कहो हरी ॐ कहो
जिस मान में जिस सम्मान में अपमान में रहो
हरी ॐ कहो हरी ॐ कहो हरी ॐ कहो
जिस योग में जिस भोग में जिस रोग में रहो
हरी ॐ कहो हरी ॐ कहो हरी ॐ कहो
प्रभु तेरी लीला का कोई पार नहीं पता
प्रभु तेरी लीला का कोई पार नहीं पता
जिस रूप में जो देखे वैसा ही नजर आता
अवतार कई तेरे और नाम कई तेरे
कोई कहता ये मेरे कोई कहता ये मेरे
जो जैसा ध्यान करे वैसा ही तू बन जाता
प्रभु तेरी लीला का कोई पार नहीं पता
सच्ची सेवा निष्ठा से जो सेवा करते है
जो शरण पड़े तेरी भवसागर तरते है
इच्छा पूरी करता येसा तू जगदाता
प्रभु तेरी लीला का कोई पार नहीं पता
तुझे भक्ति प्यारी है और भक्त दुलारे है
उनके बिगड़े सब काम , सब प्रभु तुने सवारे है
प्रेमा सुबह दे सब हाल समझ जाता
प्रभु तेरी लीला का कोई पार नहीं पता
अपने भक्तो की सदा तुने आन निभाई है
जब विपत्ति पड़ी मुश्किल तुने लाज बचायी है
युग युग से चला आया प्रभु भक्त का ये नाता
प्रभु तेरी लीला का कोई पार नहीं पता
जिस रूप में जो देखे वैसा ही नजर आता
अवतार कई तेरे और नाम कई तेरे
कोई कहता ये मेरे कोई कहता ये मेरे
जो जैसा ध्यान करे वैसा ही तू बन जाता
प्रभु तेरी लीला का कोई पार नहीं पता
सच्ची सेवा निष्ठा से जो सेवा करते है
जो शरण पड़े तेरी भवसागर तरते है
इच्छा पूरी करता येसा तू जगदाता
प्रभु तेरी लीला का कोई पार नहीं पता
तुझे भक्ति प्यारी है और भक्त दुलारे है
उनके बिगड़े सब काम , सब प्रभु तुने सवारे है
प्रेमा सुबह दे सब हाल समझ जाता
प्रभु तेरी लीला का कोई पार नहीं पता
अपने भक्तो की सदा तुने आन निभाई है
जब विपत्ति पड़ी मुश्किल तुने लाज बचायी है
युग युग से चला आया प्रभु भक्त का ये नाता
प्रभु तेरी लीला का कोई पार नहीं पता
Friday, February 8, 2008
Thursday, February 7, 2008
यह प्रेम पंथ येसा ही है जिसमे कोई चल न सके
यह प्रेम पंथ येसा ही है जिसमे कोई चल न सके
कितने ही बड़े बड़े फिसले, कुछ आगे गए और संभल न सके
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
जो कुछ न चाहते है जग में , वह कही न रुकते है मग में,
है सुन्दर साची प्रीति वही , जो उर से कभी निकल न सके.
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
वे प्रेमी ही अधिकारी है , जो इतने धिरजधारी है
चाहे कितना दुःख आये , तन जाये पर प्रण टल न सके
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
वे मिलते सब कुछ खोने से , उनका मल धुलता रोने से
प्रियतम का वह प्रेमी कैसा , जो विरह अग्नि में जल न सके
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
कितने ही बड़े बड़े फिसले, कुछ आगे गए और संभल न सके
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
जो कुछ न चाहते है जग में , वह कही न रुकते है मग में,
है सुन्दर साची प्रीति वही , जो उर से कभी निकल न सके.
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
वे प्रेमी ही अधिकारी है , जो इतने धिरजधारी है
चाहे कितना दुःख आये , तन जाये पर प्रण टल न सके
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
वे मिलते सब कुछ खोने से , उनका मल धुलता रोने से
प्रियतम का वह प्रेमी कैसा , जो विरह अग्नि में जल न सके
हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
Tuesday, February 5, 2008
पाया मनुज धन जग में तू आया
पाया मनुज धन जग में तू आया
ले ले हरी का नाम
बोलो राम श्री राम बोलो राम सही राम
हरी को भज ले रात और दिन दिन
हरी भक्ति से आवे शुभ दिन
क्यों करता अभिमान ओ क्यों करता अभिमान
बोलो राम श्री राम बोलो राम सही राम
यह जग सारा माया पसारा
क्यों फिरता तू मारा मारा
सदगुरु करते पार ओ सदगुरु करते पार
बोलो राम श्री राम बोलो राम सही राम
गुरु के मुख में अमृतवाणी
भीतर करती सहज समाधि
गुरु पाए मुक्तिमान ओ गुरु पाए मुक्तिमान
बोलो राम श्री राम बोलो राम सही राम
पांच विकारों का जहर है काला
धीरे धीरे सबको मारा
अंतर्गुरु को पुकार अंतर्गुरु को पुकार
बोलो राम श्री राम बोलो राम सही राम
आत्मपद की ज्ञान की वर्षा
सदगुरु करते दोडे आना
गुरुचरनन का वास ओ गुरुचरनन का वास
बोलो राम श्री राम बोलो राम सही राम
ले ले हरी का नाम
बोलो राम श्री राम बोलो राम सही राम
हरी को भज ले रात और दिन दिन
हरी भक्ति से आवे शुभ दिन
क्यों करता अभिमान ओ क्यों करता अभिमान
बोलो राम श्री राम बोलो राम सही राम
यह जग सारा माया पसारा
क्यों फिरता तू मारा मारा
सदगुरु करते पार ओ सदगुरु करते पार
बोलो राम श्री राम बोलो राम सही राम
गुरु के मुख में अमृतवाणी
भीतर करती सहज समाधि
गुरु पाए मुक्तिमान ओ गुरु पाए मुक्तिमान
बोलो राम श्री राम बोलो राम सही राम
पांच विकारों का जहर है काला
धीरे धीरे सबको मारा
अंतर्गुरु को पुकार अंतर्गुरु को पुकार
बोलो राम श्री राम बोलो राम सही राम
आत्मपद की ज्ञान की वर्षा
सदगुरु करते दोडे आना
गुरुचरनन का वास ओ गुरुचरनन का वास
बोलो राम श्री राम बोलो राम सही राम
हे वही भाग्यवान जो भगवान को चाहे
हे वही भाग्यवान जो भगवान को चाहे
भगवान को चाहे
विद्वान होके नित्य विघमान को चाहे
विघमान को चाहे
हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ
भोगी सदा ही भोग के समान को चाहे
अभिमानी सदा ही अपने सम्मान को चाहे
वह त्यागी तपस्वी भी कीर्तिगान को चाहे
वह देव पुजारी भी तो वरदान को चाहे
कोई चाहे कुरान को या पुरान को चाहे
हे वही भाग्यवान जो भगवान को चाहे
भगवान को चाहे
विद्वान होके नित्य विघमान को चाहे
विघमान को चाहे
हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ
कितने ही भले बुरे काम में भूले
कोई नाम में भूले कोई मान में भूले
कोई हजार लाख जो नाम में भूले
भूले नहीं वो जो दया निधान को चाहे
हे वही भाग्यवान जो भगवान को चाहे
भगवान को चाहे
विद्वान होके नित्य विघमान को चाहे
विघमान को चाहे
हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ
चलता है भिखारी सदा धनवान के पीछे
मोही भूला करता है संतान के पीछे
दुर्बल चला करता है बलवान के पीछे
पर बुद्धिमान प्रभु के ही विधान को चाहे
हे वही भाग्यवान जो भगवान को चाहे
भगवान को चाहे
विद्वान होके नित्य विघमान को चाहे
विघमान को चाहे
हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ
जो नित्य विघमान है वह दूर नहीं है
वह सर्वमय है साक्षी है और यही है
सब उसी के भीतर है जो कुछ भी कही है
हम भूले हुए जहाँ भी है वह भी यही है
जो ज्ञान में है इसी अधिष्ठान को चाहे
हे वही भाग्यवान जो भगवान को चाहे
भगवान को चाहे
विद्वान होके नित्य विघमान को चाहे
विघमान को चाहे
हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ
भगवान् वही जिससे सब पूरे होते काम
भगवान से प्रकाशित है सारे रूप नाम
भगवान् से ही जीव को मिलता परम विश्राम
सबके वही परम आश्रय सद चित आनंद धाम
यह पथिक किसी विधि उन्ही महान को चाहे
हे वही भाग्यवान जो भगवान को चाहे
भगवान को चाहे
विद्वान होके नित्य विघमान को चाहे
विघमान को चाहे
हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ
भगवान को चाहे
विद्वान होके नित्य विघमान को चाहे
विघमान को चाहे
हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ
भोगी सदा ही भोग के समान को चाहे
अभिमानी सदा ही अपने सम्मान को चाहे
वह त्यागी तपस्वी भी कीर्तिगान को चाहे
वह देव पुजारी भी तो वरदान को चाहे
कोई चाहे कुरान को या पुरान को चाहे
हे वही भाग्यवान जो भगवान को चाहे
भगवान को चाहे
विद्वान होके नित्य विघमान को चाहे
विघमान को चाहे
हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ
कितने ही भले बुरे काम में भूले
कोई नाम में भूले कोई मान में भूले
कोई हजार लाख जो नाम में भूले
भूले नहीं वो जो दया निधान को चाहे
हे वही भाग्यवान जो भगवान को चाहे
भगवान को चाहे
विद्वान होके नित्य विघमान को चाहे
विघमान को चाहे
हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ
चलता है भिखारी सदा धनवान के पीछे
मोही भूला करता है संतान के पीछे
दुर्बल चला करता है बलवान के पीछे
पर बुद्धिमान प्रभु के ही विधान को चाहे
हे वही भाग्यवान जो भगवान को चाहे
भगवान को चाहे
विद्वान होके नित्य विघमान को चाहे
विघमान को चाहे
हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ
जो नित्य विघमान है वह दूर नहीं है
वह सर्वमय है साक्षी है और यही है
सब उसी के भीतर है जो कुछ भी कही है
हम भूले हुए जहाँ भी है वह भी यही है
जो ज्ञान में है इसी अधिष्ठान को चाहे
हे वही भाग्यवान जो भगवान को चाहे
भगवान को चाहे
विद्वान होके नित्य विघमान को चाहे
विघमान को चाहे
हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ
भगवान् वही जिससे सब पूरे होते काम
भगवान से प्रकाशित है सारे रूप नाम
भगवान् से ही जीव को मिलता परम विश्राम
सबके वही परम आश्रय सद चित आनंद धाम
यह पथिक किसी विधि उन्ही महान को चाहे
हे वही भाग्यवान जो भगवान को चाहे
भगवान को चाहे
विद्वान होके नित्य विघमान को चाहे
विघमान को चाहे
हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ
Subscribe to:
Posts (Atom)