मुझे गर्व न और सहारों का
बस तेरा सहारा काफी है .
बन बन के सहारे छुटते है
ये रसम पुरानी है जग की
टूटे न कभी छूटे न कभी
बस तेरा सहारा काफी है.
विशाखापतनम में सत्संग था बंगलादेश के एक सज्जन आये थे है तो अपने भारतीय एक अच्छी पोस्ट पर है ५५०००-६०००० मिलता है कह रहे थे की कुछ भी नहीं था बहार का लाभ हुआ पर अन्दर बड़ी शांति रहती है पहले कितना दुखी था कितना मानसिक रोग से दुखी था पर गुरुमंत्र का सहारा मिला गुरु का सहारा मिला बस मुझे और कुछ नहीं चाहिए पहले जितना आकर्षण होता था
कोटा के एक सज्जन यहाँ आये होंगे शादीशुदा है उनका एक बच्चा है बोले मुझे हर नारी वैष्णोदेवी लगती है मेरी आख से गुरुदेव ने धोखे को हटा दिया गुरु की सीख रूपी सुरमे को जब से मैंने आख में लगाया . पहले वैष्णोदेवी जाता था कोटा से दो ढाई दिन लगते थे तब तक पानी भी नहीं पीता था विश्नोदेवी माता ने ही मुझे बापूजी तक पहुचाया अब बापूजी ने मुझे कितना उचा ऊठा दिया
पहले नजरो को धोखा होता था
नजरो को धोका देते है ये झूठे नज़ारे दुनिया के,
व्यक्ति का मन आकर्षण हो जाता है किसी का रूप देखकर ,किसी का घर , बड़ी गाड़ी देखकर, किसी का पद देखकर , किसी की प्रतिष्ठा देखकर ये गलत है
नजरो को धोखा देते है ये झूठे नज़ारे दुनिया के,
मेरी प्यासी नजरो के लिए बस तेरा नजर काफी है
बन बन के सहारे छुटते है ये रसम पुरानी है जग की
टूटे न कभी छूटे न कभी बस तेरा सहारा काफी है.
यहाँ इतनी संख्या में भक्त बैठे है इतनी भीड़ है किसलिए आये है केवल गुरुदेव के दर्शन करने के लिए उनके वचन सुनने के लिए जब तक बापूजी पधारे तब तक शांति से बैठे रहते है ये किसी और को सुनने के लिए या मुझे सुनने के लिए नहीं बापूजी अब आयेंगे अब आयेंगे एक चाह जेसे पहिहे को बरसात के कुछ नहीं लेना होता उसे तो स्वाती की एक बूंद से लेना होता है.
मेरी नजर में सवाल है, आपकी नजर का सवाल है
मेरी नजर में सवाल है, आपकी नजर का सवाल है
इशारा तेरी रहमत का मुझे एक बार मिल जाये मेरा उजड़ा हुआ चमन गुले गुलजार हो जाये.
पहिहे को मतलब ही क्या इन नदियों और तालाबों से 2
बादल से बरसती स्वाती की बस एक ही धारा काफी है 2
बन बन के सहारे छुटते है ये रसम पुरानी है जग की
टूटे न कभी छूटे न कभी बस तेरा सहारा काफी है.
आगरा के आश्रम में कार्यक्रम था एक महिला आई बोले मेरी बहन का बच्चा चल फिर नहीं सकता, वील कुर्सी पर है .आप आश्रम में रहते हो आप मेरी बापूजी से बात कर दो मैंने उनको कहा क्यों बोली ठीक हो जायेगा बापूजी आशीर्वाद देंगे. मैंने कहा की आशीर्वाद तो बरस ही रहा है अगर उनका आशीर्वाद नहीं होता तो आप आते ही नहीं माता जी आशीर्वाद है तभी आप आई हो बोले बात कर दो . मैंने कहा आप इस बच्चे को भगवन नाम की दीक्षा देते है वो दिलवा दो वो बोली ये निचे बैठ नहीं पायेगा मैंने कहा हम कुर्सी की व्यवस्था कर देते है ये दीक्षा दिलाओ ये जप करेगा . ब्रमज्ञानी महापुरुषों को कोई संप्रदाय नहीं चलाना होता उनको तो सबका भला करना होता है .
पटियाला से सिख बंधू आये थे मंजीत सिंह उनका नाम था उन्होने कहा मैंने सोनी टीवी पर बापूजी को देखा मुझे लगा की ये हमारे गुरुनानक जी है इसलिए मई दीक्षा लेने आया हूँ पर बापूजी उस दिन दीक्षा दे चुके थे. योगनुयोग पटियाला उनके पटियाला में ही गुरुदेव का सत्संग हुआ फिर उन्होने दीक्षा ली मुझे बहुत खुश होकर बता रहे थे.
उस बच्चे को दीक्षा दिलवा दी ढाई महीने में बाद वह महिला बहुत खुश होकर आई और कहा वो बच्चा अब चल फिर सकता है दीक्षा लेकर जप करने से उसके महापातक नष्ट हो गए
यहाँ रिश्वत और सिफारिश से कोई काम नहीं बन सकता है
बिगडी स्वर जाने में लिए बस तेरा सहारा काफी है .
बिगडी स्वर जाने में लिए एक तेरा इशारा काफी है .
हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ हरी हरी ॐ.
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