Sunday, February 10, 2008

नारायण नारायण श्रीमननारायण नारायण नारायण

नारायण नारायण श्रीमननारायण नारायण नारायण
नारायण नारायण श्रीमननारायण नारायण नारायण

ये मन की दाता तू है हर जहाँ का
मगर झोली आगे फलाऊ तो कैसे
जो पहले है वही कम नहीं है
उसे ही उठाने के काबिल नहीं हूँ
नारायण नारायण श्रीमननारायण नारायण नारायण

ज़माने की चाहत ने सबको रुलाया
हरि नाम हरगिज जुबां पर न आया
हे मालिक तेरा गुनेगार हूँ मैं
तुम्हे मुह दिखाने के काबिल नहीं हूँ
नारायण नारायण श्रीमननारायण नारायण नारायण

तुम्ही ने अदा की मुझे जिंदगानी
मगर तेरी महिमा नहीं मेने जानी
कर्जदार इतना मैं तेरी दया का
अब कर्जा चुकाने के काबिल नहीं हूँ
नारायण नारायण श्रीमननारायण नारायण नारायण

तमन्ना यही है की सिर को झुकाकर
तेरा दर्श एक बार जी भर के कर लू
सिवा आसू बिंदु के ओ मेरे मालिक
मैं कुछ भी चदाने के काबिल नहीं हूँ
नारायण नारायण श्रीमननारायण नारायण नारायण
नारायण नारायण श्रीमननारायण नारायण नारायण

No comments: