नारायण नारायण श्रीमननारायण नारायण नारायण
नारायण नारायण श्रीमननारायण नारायण नारायण
ये मन की दाता तू है हर जहाँ का
मगर झोली आगे फलाऊ तो कैसे
जो पहले है वही कम नहीं है
उसे ही उठाने के काबिल नहीं हूँ
नारायण नारायण श्रीमननारायण नारायण नारायण
ज़माने की चाहत ने सबको रुलाया
हरि नाम हरगिज जुबां पर न आया
हे मालिक तेरा गुनेगार हूँ मैं
तुम्हे मुह दिखाने के काबिल नहीं हूँ
नारायण नारायण श्रीमननारायण नारायण नारायण
तुम्ही ने अदा की मुझे जिंदगानी
मगर तेरी महिमा नहीं मेने जानी
कर्जदार इतना मैं तेरी दया का
अब कर्जा चुकाने के काबिल नहीं हूँ
नारायण नारायण श्रीमननारायण नारायण नारायण
तमन्ना यही है की सिर को झुकाकर
तेरा दर्श एक बार जी भर के कर लू
सिवा आसू बिंदु के ओ मेरे मालिक
मैं कुछ भी चदाने के काबिल नहीं हूँ
नारायण नारायण श्रीमननारायण नारायण नारायण
नारायण नारायण श्रीमननारायण नारायण नारायण
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