Monday, February 11, 2008

संत का निंदक महा हत्यारा

संत का निंदक महा हत्यारा , संत का निंदक परमेश्वर मारा
निंदक की कभी पूजे न आस, संत का निंदक सदा हो निराश
सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु

संत का निंदक महा अहंकारी, संत का निंदक सदा हो भिखारी
संत के निंदक की मति हो मलीन, संत का निंदक शोभा से हीन
सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु

संत का निंदक अंतर का थोथा, जैसे साँस बिन मृतक का होता
संत का निंदक सर्प योनी पावे, संत का निंदक अजगर होवे
सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु

अभी हम सुन रहे थे गुरुनानक देव जी की वाणी. सुखमनी साहिब में आता है संत की निंदा करने से कैसी दुर्गति होती है . हम सुखमनी साहिब के वचन सुन रहे थे.अब संत का संग करने से क्या लाभ होता है वो बाबा नानकदेव फरमाते है सुखमनी साहिब का वचन

साधु का संग प्रभु लागे मीठा
साधु का संग प्रभु महरीठा
साधु के संग से मिटे सब रोग
नानक साधु देते संजोग
सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु सतनाम वाहेगुरु

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